आगरा: एक तरफ जहाँ न्यायालय और शासन अवैध निर्माणों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आगरा में आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी और क्षेत्रीय पुलिस इन आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं। आरोप है कि ट्रांस यमुना कॉलोनी सहित शहर के कई हिस्सों में धड़ल्ले से अवैध निर्माण चल रहे हैं, और इन निर्माणों को पूरा कराने में अधिकारी व कर्मचारी ‘नोटिस-नोटिस का खेल’ खेलकर मोटी रकम वसूल रहे हैं।
न्यायालय के आदेश के बाद भी ट्रांस यमुना में अवैध निर्माणों की बाढ़
उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तुरंत अवैध निर्माणों को तोड़ने व रुकवाने के आदेश के बावजूद, आगरा के ट्रांस यमुना क्षेत्र में आज भी कई मंजिल के अवैध निर्माण बिना नक्शा पास कराए धड़ल्ले से पूरे हो रहे हैं।
बताया जाता है कि इस पूरे खेल में क्षेत्रीय सुपरवाइजर की अहम भूमिका होती है। जैसे ही निर्माण कार्य की नींव रखी जाती है, सुपरवाइजर मौके पर पहुंचकर एक फोटो खींचता है। इसके बाद ‘सेटिंग का खेल’ शुरू हो जाता है। पहले सुपरवाइजर खुद अवैध निर्माणकर्ता से बात करने की कोशिश करता है। यदि बात नहीं बनती, तो मामला जेई तक पहुँचता है। यहाँ भी कोशिश यह होती है कि मोटी रकम लेकर निर्माण कार्य को जारी रखवाया जाए। जब यहाँ भी सेटिंग नहीं हो पाती, तो मामला एई और अधिशासी अभियंता तक पहुँचता है। तब जाकर अवैध निर्माण को लेकर एक ‘नोटिस’ जारी किया जाता है, जिसकी कॉपी क्षेत्रीय पुलिस को भी दी जाती है। लेकिन, विडंबना यह है कि न तो परिषद के अधिकारी अवैध निर्माण रोक पाते हैं और न ही क्षेत्रीय पुलिस इस ओर ध्यान देती है, जिससे बेखौफ होकर अवैध निर्माण पूरे होते रहते हैं।
‘हरी चादर’ कर रही कमाल: अधिकारियों की ‘अंधी’ नजर?
इसका एक जीता-जागता उदाहरण वंदना नर्सिंग होम के बराबर फिरोजाबाद आगरा रोड, रामबाग फेस 2, गुप्ता सेवा सदन के सामने है। यहाँ हाईवे के किनारे कई मंजिल का अवैध निर्माण हरी चादर डालकर धड़ल्ले से चल रहा है। यह निर्माण बिल्कुल हाईवे के किनारे है, लेकिन परिषद के अधिकारियों की ‘अंधी’ नजर इस पर नहीं पड़ती। जब कभी अधिकारी इस रोड से गुजरते हैं, तो इन अवैध निर्माणों को अनदेखा कर देते हैं, जिसके चलते अवैध निर्माणकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।
क्षेत्रीय लोग इन अवैध निर्माणों को लेकर परिषद में शिकायत भी करते हैं, तो उनकी शिकायत को ‘रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है’। इससे साफ लगता है कि परिषद के वर्तमान अधिकारियों को न तो न्यायालय का डर है और न ही उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशों का कोई खौफ।
पहले भी निलंबित हो चुके हैं अधिकारी, फिर भी नहीं सीखा सबक
यह भी ज्ञात हो कि पूर्व में एंथम कॉलोनी में चल रहे एक अवैध निर्माण में वसूली करने के आरोप में एक अधिशासी अभियंता, एई और चपरासी निलंबित हो चुके हैं। इसके बावजूद, वर्तमान अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया है, बल्कि उस समय से भी अधिक वर्तमान में तैनात अधिकारी अवैध निर्माणों को ‘सेटिंग के तहत’ पूरा करवाने में लगे हुए हैं।
परिषद के अधिकारी ने दिया ‘कल’ का आश्वासन
जब अवैध निर्माणों को लेकर आवास एवं विकास परिषद के निर्माण खंड एक के अधिशासी अभियंता अनिल कुमार से दूरभाष पर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि “कल ऑफिस जाकर अवैध निर्माण के साथ-साथ अन्य शिकायतों के बारे में जानकारी देंगे।”
वहीं, ट्रांस यमुना क्षेत्र के एई वैभव सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि “नोटिस दे दिए जाते हैं और पांच-छह नोटिस के बाद अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई की जाती है। अवैध निर्माण को दिए गए नोटिस में अभी समय बाकी है, जैसे ही सभी नोटिस दे दिए जाएंगे तो अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।” यह बयान अपने आप में सवाल खड़े करता है कि क्या अवैध निर्माण रुकवाने के बजाय नोटिस देकर उन्हें पूरा होने का ‘समय’ दिया जा रहा है।