आगरा में संजय पैलेस के मनीषा ब्लॉक 43/2 की 45 साल पुरानी इमारत पर अवैध कब्ज़ा।
जूनियर इंजीनियर की बेरुखी से खतरा बढ़ा।
सुपरवाइजर जाने के बाद भी नहीं हुआ निर्माण कार्य बंद।
आगरा: ताजमहल की नगरी आगरा इस वक्त एक बड़े खतरे के साये में है। शहर के सबसे व्यस्त व्यावसायिक क्षेत्र संजय प्लेस में स्थित मनीषा ब्लॉक नंबर 43/2 की जर्जर इमारत किसी भी समय मौत का मंजर दिखा सकती है। यह इमारत करीब 45 साल पुरानी है और अब इसकी दीवारें व छतें पूरी तरह से कमजोर हो चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि इतनी जर्जर स्थिति के बावजूद दबंग तत्वों ने यहां अवैध कब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया है। यह हरकत न सिर्फ़ गैरकानूनी है, बल्कि सैकड़ों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ भी है।
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शराब की दुकान के ऊपर मंडराता खतरा
इस इमारत की सबसे बड़ी चिंता यह है कि इसके ठीक नीचे एक शराब की दुकान संचालित हो रही है। दिनभर यहां लोगों की भीड़ रहती है। नागरिकों का कहना है कि अगर कभी यह इमारत भरभराकर गिरी, तो नीचे खड़े लोग सीधे इसकी चपेट में आ जाएंगे। एक पल की चूक दर्जनों जिंदगियां लील सकती है।
जूनियर इंजीनियर नहीं दे पा रहे कोई जवाब
बताया जाता है कि जब आगरा विकास प्राधिकरण जेई राजीव से बात की गई तो उन्होंने कोई संतुष्टि पूर्ण जवाब नहीं दिया बल्कि यह कहकर अपने कर्तव्य की इतश्री कर ली कि मैं अभी नया आया हूं । मुझे क्षेत्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यानी उनकी ओर से जो हो रहा है वह होता रहे उनका कोई लेना-देना नहीं है। नागरिकों का कहना है कि अधिकारी की यह बेरुखी और चुप्पी ही अवैध कब्ज़ाधारियों के हौसले बढ़ा रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर कोई बड़ा हादसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
जनता में गुस्सा और आक्रोश
अब स्थानीय निवासियों का सब्र टूट चुका है। लोग कह रहे हैं कि अगर जल्द से जल्द प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। लोगों का आरोप है कि अवैध कब्ज़ा करने वाले पूरी तरह से बेखौफ हैं और ऐसा तभी संभव है जब प्रशासनिक स्तर पर कोई न कोई मिलीभगत हो।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस मामले ने आगरा विकास प्राधिकरण (ADA) और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर क्यों अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं? क्या वे किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहे हैं? क्या जनता की सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता नहीं रह गई है?
शहर के लिए खतरे की घंटी
यह मुद्दा केवल एक इमारत तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि संजय प्लेस जैसे व्यस्त इलाक़े में अगर इस तरह की लापरवाही हो सकती है, तो छोटे इलाकों की स्थिति आसानी से समझी जा सकती है। अगर प्रशासन अभी नहीं चेता तो यह इमारत आगरा के लिए एक बड़ी त्रासदी का सबब बन सकती हैं।
सुपरवाइजर के जाने के बाद भी नहीं रुका निर्माण कार्य
जब एक आम नागरिक ने आगरा विकास प्राधिकरण के जुनियर इंजीनियरिंग राजीव से बात की तो उन्होंने कहा कि आज हमने सुपरवाइजर को भेजा था, काम बंद करवा दिया है। जब सुपरवाइजर तेजवीर से बात की तो उन्होंने कहा कि हमने कार्य बंद करा दिया है । उनको कागज दिखाने का कहा गया है । इस तरह से सुपरवाइजर के जाने के बाद भी यह अवैध निर्माण नहीं रुक पाया।
अब देखना होगा कि आगरा विकास प्राधिकरण के उच्च अधिकारी आगरा के सबसे बड़े व्यवसायिक केंद्र की पुरानी बिल्डिंग में हो रहे अवैध निर्माण को कब तक ध्वस्त करा पाते हैं यह तो आने वाले समय में पता लगेगा। लेकिन इस निर्माण कार्य से इतना तो साफ हो गया कि संजय प्लेस जिस नक्शे में बना था उस नक्शे में आज न होकर प्राधिकरण की लापरवाही से बेजोड़ अवस्था में दिखाई देता है। जो कभी भी यहां के व्यापारी एवं यहाँ आने वाली हजारों जनता के लिए खतरा बन सकती है।