एटा: एटा जनपद के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को उस समय असहज स्थिति बन गई जब दैनिक प्रवदा के पत्रकार रवीश कुमार गोला अपने बीमार भतीजे का इलाज कराने पहुंचे। पेट दर्द की शिकायत लेकर अल्ट्रासाउंड कराने की उम्मीद में आए पत्रकार को यहां चिकित्सकों की असंवेदनशीलता और अजीबोगरीब व्यवहार का सामना करना पड़ा।
ओपीडी में सिर्फ दवा, अल्ट्रासाउंड की सलाह नहीं
जानकारी के अनुसार, पत्रकार रवीश कुमार अपने भतीजे को लेकर सुबह करीब 11:15 बजे एटा मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्हें पीडियाट्रिक वार्ड के कक्ष संख्या 113 में भेजा गया। वहां ओपीडी में उपस्थित चिकित्सक ने बच्चे को देखा और केवल कुछ दवाइयां लिख दीं, लेकिन अल्ट्रासाउंड कराने की कोई सलाह नहीं दी।
सीएमएस के निर्देश पर भी टालमटोल
जब पत्रकार रवीश कुमार ने इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) डॉ. सुरेश चंद्रा से फोन पर संपर्क किया, तो उन्होंने तुरंत संबंधित चिकित्सक को बच्चे का अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह (एडवाइज) देने का निर्देश दिया। हालांकि, CMS के स्पष्ट निर्देश के बावजूद, चिकित्सक ने स्वयं यह कार्य करने की बजाय सिस्टर को सौंप दिया।
सिस्टर की ‘हंसी’ और डॉक्टर का ‘इनकार’
जब सिस्टर ने बच्चे के दर्द की अवधि पूछी और पत्रकार ने दो दिन बताया, तो वह अजीब तरह से हँसने लगीं। इस पर पत्रकार ने जब उनकी हंसी का कारण जानना चाहा, तो पास ही बैठे चिकित्सक ने न केवल अल्ट्रासाउंड एडवाइज करने से साफ इनकार कर दिया, बल्कि अभद्रता की सारी हदें पार करते हुए कहा, “जाओ, CMS से ही लिखा लो।”
वीडियो बनाने पर और बिगड़ा व्यवहार
पत्रकार रवीश कुमार ने जब चिकित्सक के इस अभद्र व्यवहार का वीडियो बनाना शुरू किया, तो चिकित्सक और भी अशोभनीय भाषा का प्रयोग करने लगे। पत्रकार ने बताया कि उनका उद्देश्य चिकित्सकों के इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये को उजागर करना था।
प्राचार्या और सीएमएस ने नहीं उठाया फोन
इस पूरे घटनाक्रम से क्षुब्ध पत्रकार ने मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या से शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद पत्रकार ने CMS डॉ. सुरेश चंद्रा को भी कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया।
एटा के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एक पत्रकार के साथ हुए इस दुर्व्यवहार ने अस्पताल की कार्यशैली और चिकित्सकों की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक बीमार बच्चे के इलाज के लिए पहुंचे परिजन को इस तरह की असंवेदनशीलता का सामना करना वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। अब देखना यह होगा कि इस मामले पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।