झांसी, उत्तर प्रदेश, सुल्तान आब्दी: विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच, झांसी जिले के चिरगांव ब्लॉक स्थित ग्राम घुसगुआ की स्थिति किसी नरक से कम नहीं है। ग्राम प्रधान की घोर लापरवाही के चलते गांव की सड़कें पूरी तरह से बदहाल हो चुकी हैं, और बारिश के मौसम में ये सड़कें कीचड़ के दलदल में तब्दील हो गई हैं, जिससे ग्रामीणों का जीवन दूभर हो गया है। सुल्तान आब्दी द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, इस समस्या से जूझ रहे ग्रामीण अब प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कीचड़ से लबालब सड़कें: किसानों, बच्चों और बुजुर्गों की बढ़ी मुसीबत
घुसगुआ गांव की गलियों में फैले कीचड़ ने ग्रामीणों की कमर तोड़ दी है। किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं, स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। उन्हें हर कदम पर फिसलने और गिरने का डर सताता रहता है। कई बार तो वे कीचड़ में फंस भी जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या के चलते उनका दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं: ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में कई बार ग्राम प्रधान और संबंधित अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। ग्राम प्रधान की उदासीनता ने ग्रामीणों के धैर्य का बांध तोड़ दिया है। अब वे ग्राम प्रधान से जवाब मांग रहे हैं और पूछ रहे हैं कि विकास के नाम पर सिर्फ वादे ही क्यों किए गए और जमीनी स्तर पर कोई काम क्यों नहीं हुआ।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें: समस्या का तत्काल समाधान हो
घुसगुआ गांव के परेशान ग्रामीणों ने अब एकजुट होकर प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
* सड़कों का शीघ्र निर्माण: ग्रामीणों की सबसे पहली मांग है कि कीचड़ से निजात दिलाने के लिए जल्द से जल्द गांव की सड़कों का निर्माण कराया जाए ताकि आवागमन सुचारु हो सके।
* जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई: ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान की लापरवाही के लिए उन पर और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की भी मांग की है। उनका कहना है कि जो लोग अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कब संज्ञान लेता है और घुसगुआ गांव के ग्रामीणों को कीचड़ के इस दलदल से कब मुक्ति मिलती है।