आगरा:आगरा के सेवला जाट में हुई एक सनसनीखेज हत्या के मामले में, अपर जिला न्यायाधीश (एडीजे 13) ने दो आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। यह मामला संतोष प्रधान की हत्या से जुड़ा था, जिसमें मृतक पॉपी सिंह (Pappi Singh) चश्मदीद गवाह था।
क्या था पूरा मामला?
यह घटना 25 अप्रैल 2015 की दोपहर 1:30 बजे की है। मृतक की पत्नी, श्रीमती गीता ने थाना सदर बाजार में तहरीर देकर आरोप लगाया था कि जब वह अपने पति पॉपी सिंह के साथ डॉक्टर को दिखाने सदर जा रही थीं, तभी सेवला जाट स्थित जीत पेट्रोल पंप के पास कुछ लोगों ने उन्हें रोक लिया। आरोपियों में नह नें उर्फ वीरेंद्र, रवि, दीपक, बंटी यादव, संतोष यादव और हरीओम बघेल शामिल थे।
गीता के अनुसार, इन लोगों ने उनके पति पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। उन्होंने किसी तरह एक दुकान के पीछे छिपकर अपनी जान बचाई, लेकिन उनके पति की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस जांच में पता चला कि मृतक पॉपी सिंह, संतोष प्रधान की हत्या का चश्मदीद गवाह था, जिसकी हत्या पूर्व में बंटी यादव, संतोष यादव और हरीओम बघेल ने की थी। आरोप था कि आरोपियों ने पॉपी सिंह को गवाही न देने पर जान से मारने की धमकी दी थी।
पुलिस और अदालत की कार्यवाही
पुलिस ने अपनी जांच में कुछ आरोपियों के नाम गलत पाए जाने पर उन्हें हटा दिया और सिर्फ बंटी यादव, संतोष यादव और हरीओम बघेल के खिलाफ हत्या तथा अन्य धाराओं में आरोप पत्र अदालत में पेश किया।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से वादिनी गीता समेत कुल दस गवाहों को अदालत में पेश किया गया। सुनवाई के बीच, आरोपी बंटी यादव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई।
वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद कुमार शर्मा और मनीष पाठक ने आरोपियों का पक्ष रखा। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और उपलब्ध साक्ष्यों का गहनता से अध्ययन किया। साक्ष्य के अभाव को देखते हुए, एडीजे 13 ने संतोष यादव और हरीओम बघेल को बरी करने का आदेश दिया। यह फैसला दर्शाता है कि गंभीर मामलों में भी बिना ठोस सबूतों के किसी को दोषी ठहराना मुश्किल है।