नशे के कारोबार में सफेदपोशो का नाम, इंस्पेक्टर ने जांच बढ़ाई तो मिला ट्रांसफर का इनाम, 20 दिन में दूसरा तबादला

Sumit Garg
3 Min Read

प्रतापगढ़, विशाल त्रिपाठी। पट्टी कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक (SHO) अवन दीक्षित के अचानक हुए तबादले को लेकर इलाके में कई सवाल उठ रहे हैं। महज़ 20 दिनों के भीतर हुए इस ट्रांसफर के पीछे राजनीतिक दबाव और अवैध धंधों में शामिल लोगों के रसूख को कारण बताया जा रहा है।

सूत्रों की मानें तो पट्टी में अवैध मादक द्रव्यों (एमडी) का कारोबार राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहा है। कोतवाल अवन दीक्षित ने जब इस धंधे में शामिल सौदागरों पर शिकंजा कसना शुरू किया, तो उन्हें हटाने की मुहिम अंदरखाने शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि नशे के कारोबार से जुड़े लोगों को थाने बुलाकर पूछताछ करना और गिरोह के अन्य सदस्यों पर कार्रवाई की तैयारी करना कोतवाल को भारी पड़ गया।

अपने छोटे से कार्यकाल में कोतवाल अवन दीक्षित ने पट्टी कस्बे की जाम की समस्या और अपराधियों पर नकेल कसने जैसे मामलों में सख्त रवैया अपनाया था। उन्होंने बुलेट मोटरसाइकिल से फायरिंग करने वालों और बेतरतीब खड़े वाहनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। इसके अलावा, कस्बे से लेकर गांव की बाजारों तक शाम ढलते ही पैदल गश्त कर अपराधियों पर दबाव बनाया और हरे वृक्षों की कटाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। उनकी इस कार्यशैली से आम जनता में एक सकारात्मक संदेश गया था।

हालांकि, कुछ लोगों को तभी से यह आशंका थी कि कोतवाल दीक्षित पट्टी में अधिक समय तक नहीं टिक पाएंगे। ऐसा ही हुआ और 20 दिन बाद ही उनका तबादला कुंडा के लिए कर दिया गया।

इस तबादले को लेकर स्थानीय लोग हैरान हैं और कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। कुछ प्रबुद्ध लोगों का मानना था कि पुलिस अधीक्षक अपराधों पर अंकुश लगाने में कोतवाल की कार्रवाई का समर्थन करेंगे, लेकिन अंततः सफेदपोश नेताओं का राजनीतिक रसूख पुलिस विभाग पर भारी पड़ गया।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पट्टी के नए कोतवाल क्या एमडी गैंग के आकाओं पर कार्रवाई कर पाएंगे, जिन पर शिकंजा कसने की कोशिश कोतवाल अवन दीक्षित को महंगी पड़ी। इस तबादले ने कई अनुत्तरित प्रश्न खड़े कर दिए हैं और इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है।

Share This Article
Follow:
प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
Leave a comment