आगरा। ताजनगरी आगरा में लगने वाला सबसे मशहूर ताज महोत्सव का आगाज हो चुका है। रंगीन लाइट, डेकोरेशन कलाकृति संस्कृति और शिल्प कारीगर यह सब इस महोत्सव को बेहद खास बनाते हैं। लेकिन इस बार शिल्प काफी परेशान हैं। उनको डर सता रहा है कि कहीं इस बार भी पिछले साल की तरह घाटा न हो जाए।
भीड़ का न होना भी चिंता की वजह बन चुका है
उनको आस है कि मेला कुछ दिन और बढ़ाया जाएगा। हर बार की तरह इस बार भी 10 दिन का महोत्सव ताज शिल्पग्राम में लग चुका है। लेकिन महोत्सव के मुख्य शिल्प जो अपने सामान को बेचने और प्रमोट करने यहां आते हैं वह काफी उदास और चिंतित हैं। कारण है किराए का महंगा होना, पब्लिक का न होना, जगह का अभाव और लाइट कनेक्शन। शिल्पों की दुकान के पास पब्लिक ही नहीं आ रही है जिसके चलते काफी दिक्कत का सामना उन्हें करना पड़ रहा है। ताज महोत्सव में दूर दराज से आए एक शिल्प का कहना है कि इस बार काफी घाटे की उम्मीद है। दुकान के सामने भी शॉप्स लगानी चाहिए थीं जिससे भीड़ एकत्र होती। कुंभ के चलते पब्लिक का अभाव है। इस बार स्टॉल का किराया भी बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि अगर हम लोगों की दुकान मुख्य स्थान पर अलॉट होती तो पब्लिक से रूबरू और अपने सामान की बिक्री कर सकते।
ताज महोत्सव में सहारनपुर से आए मुआजिद लगभग 12 साल से वुडन घड़ी, गिफ्ट आइटम और फर्नीचर प्रोडक्ट्स की दुकान लगा रहे हैं। इस बार पहली बार ऐसा हुआ है कि यहां आकर ऐसी परेशानी झेलने पड़ रही है। जगह काफी सीमित कर दी है जिसके चलते हम अपना फर्नीचर का सामान पूरा नहीं दिखा पा रहे हैं। दुकानों के आगे पट्टी खींच दी है अगर उस रेखा से आगे दुकान का कोई भी सामान बाहर आता है तो आकर चेतावनी देने के बजाय सीधे सामान फेंकने की धमकी देते हैं। अब हम क्या करें, इस हिसाब से तो घाटा झेलने के लिए मन तैयार करना पड़ेगा।
फरीदाबाद से आए अतुल सागर ताज महोत्सव में 10 साल से मूर्ति की दुकान लगा रहे हैं। इस बार उन्हें चिंता सता रही है क्योंकि पब्लिक नहीं है। किराए की वृद्धि के साथ लाइट कनेक्शन की समस्या काफी जटिल है। मेला अथॉरिटी ने केवल दो बल्ब लगाने के लिए दिए हैं, और इतने में कुछ होगा नहीं। जब लाइट कनेक्शन की बात कहीं तो अधिकारी का कहना है कि 5000 रुपये में पूर्ण मेले तक लाइट कनेक्शन कर देंगे। अब 12 दिन के लिए इतने रुपये लाइट में ही खर्च कर देंगे तो कमाएंगे क्या
महाकुंभ के चलते जनता का अभाव
ताज महोत्सव में पब्लिक न होने का सबसे मुख्य कारण महाकुंभ है। जहां अब तक शिल्पग्राम में लोगों का समूह उमड़ पढ़ता था वहां इस बार जनता ही नहीं है। लोगों से बात करते में भी यहीं कारण सामने आया है। 144 साल बाद पड़े इस महाकुंभ में स्नान के लिए लोग जाते जा रहे है। यह कुंभ का आखिरी सप्ताह है जिसके चलते शिल्पों को उम्मीद है कि आगामी दिनों में पब्लिक एकत्र हो और दुकानदारी अच्छी हो जाए।