फर्ज कीजिए, आपके पास कोई फोन कॉल आए। कॉल आईडेंटिफायर बताता है कि यह कॉल सीबीआई या पुलिस से आ रहा है। थोड़ी घबराहट तो होगी ही, और यह घबराहट तब और बढ़ जाती है जब कॉल करने वाला आपके बच्चे को अपराध में शामिल होने की बात कहता है। आगरा में हाल ही में ऐसे ही कुछ दिलचस्प और नाकाम मामलों का सामना किया गया है, जिसमें डॉक्टर, नगर निगम के अधिकारी और पार्षद ठगी के शिकार होते-होते बचे।
महिला शिक्षिका की मौत से उठी आवाज़ें
हाल ही में आगरा में एक महिला शिक्षिका की हार्ट अटैक से मौत हुई थी, जिसके पीछे साइबर ठगों का जाल था। इस घटना के बाद से शहर में साइबर ठगी के खिलाफ लोग एकजुट होने लगे हैं और लोग अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
केस 1: किशोरी सिंह राजपूत
किशोरी सिंह, जो नगर निगम में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हैं, बताते हैं कि उन्हें भी ऐसा फोन आया था। ठग ने कहा कि उनका बेटा ड्रग्स तस्करी में पकड़ा गया है और जेल जाने से बचाने के लिए 5 लाख रुपये की मांग की। किशोरी ने ठग को बताया कि उनका बेटा घर पर ही है, और फिर फोन काट दिया गया।
केस 2: पूर्व पार्षद अमित ग्वाला
पूर्व पार्षद अमित ग्वाला के पास भी एक ऐसा कॉल आया जिसमें कहा गया कि उनके बेटे ने एक लड़की का रेप किया है। ग्वाला ने ठग को चुनौती दी कि यदि उनके बेटे को जेल भेजा गया तो उसे गोली मार दें, क्योंकि उनका कोई बेटा नहीं है। इस पर ठग ने फोन काट दिया।
केस 3: डॉक्टर केके अग्रवाल
डॉक्टर केके अग्रवाल को भी इसी तरह का कॉल आया, जिसमें उनके रिश्तेदार को रेप केस में फंसाने की धमकी दी गई। ठग ने 5 लाख रुपये की मांग की, लेकिन पूर्व पार्षद अमित ग्वाला ने स्थिति का पता लगा लिया और डॉक्टर को ठगी से बचाया।
जागरूकता की आवश्यकता
विशेषज्ञों के अनुसार, साइबर अपराध में ज्यादातर मामलों की रिपोर्ट तब होती है जब ठगी सफल होती है। ऐसे मामलों की भी रिपोर्ट होनी चाहिए, ताकि लोग जागरूक हो सकें। भारत में साइबर ठगी के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2019 में 26,049 शिकायतें दर्ज की गई थीं, जो 2024 के पहले चार महीनों में बढ़कर 7,40,957 हो गई हैं।
साइबर ठगी से बचने के लिए जागरूकता और जानकारी हासिल करना आवश्यक है। लोगों को चाहिए कि वे ऐसे फोन कॉल्स की शिकायत करें और ठगों से सावधान रहें।