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यूपी में अब अलीगढ़ की जामा मस्जिद पर विवाद, मुगलों के वंशज ने जताया मालिकाना हक

Deepak Sharma
5 Min Read
यूपी में अब अलीगढ़ की जामा मस्जिद पर विवाद, मुगलों के वंशज ने जताया मालिकाना हक

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह मस्जिद अब विवादों के केंद्र में आ गई है, क्योंकि अलीगढ़ के भ्रष्टाचार विरोधी सेना के अध्यक्ष और आरटीआई एक्टिविस्ट पंडित केशव देव ने इस मस्जिद को लेकर एक वाद दायर किया है। पंडित केशव देव का दावा है कि शाही जामा मस्जिद सरकारी भूमि पर बनी हुई है और इसे भारतीय मूल के किसी भी धार्मिक स्थल से जोड़ा जा सकता है।

पंडित केशव देव का दावा

पंडित केशव देव ने इस वाद में शाही जामा मस्जिद के मुतवल्ली को दूसरा पक्षकार बनाया था, लेकिन अब इस मस्जिद पर मालिकाना हक को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। मुगलों के वंशजों ने शाही जामा मस्जिद पर मालिकाना हक जताया है। इस मामले में तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से एक चिट्ठी आई है, जिसमें मुगलों के वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने खुद को तीसरा पक्षकार बताते हुए मस्जिद पर दावा किया है।

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मुगल वंशज का दावा और कोर्ट में पेश होने की तैयारी

प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने चिट्ठी के माध्यम से अलीगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता इफ्राहिम हुसैन को मस्जिद के मालिकाना हक के संदर्भ में कागजात भेजे हैं। इस पत्र के माध्यम से वे 15 फरवरी को इस मस्जिद से जुड़ी सुनवाई में तीसरे पक्ष के रूप में दावा पेश करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने मस्जिद के निर्माण से संबंधित कागजात और मुगलों के वंशज होने के सबूत पेश किए हैं।

मुगलकाल में बनी थी जामा मस्जिद

इफ्राहिम हुसैन ने एबीपी लाइव से बातचीत में कहा कि शाही जामा मस्जिद का निर्माण मुगल शासनकाल में हुआ था। उन्होंने बताया कि मस्जिद जिस भूमि पर बनी है, वह मुगलों की थी और इसके निर्माण के समय इस पर उनके वंशजों का अधिकार था। हालांकि, इस मस्जिद के निर्माण के बाद आज तक इस पर कोई विवाद सामने नहीं आया था, लेकिन अब कुछ लोग इसे सरकारी भूमि मानकर इस पर अपना दावा पेश कर रहे हैं।

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शाही जामा मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व

शाही जामा मस्जिद का इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह मस्जिद मुगल सम्राट मुहम्मद शाह (1719-1728) के शासनकाल में कोल के गवर्नर साबित खान द्वारा 1724 में बनवानी शुरू की गई थी और 1728 में पूरी तरह से तैयार हो गई थी। इस मस्जिद में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के 73 शहीदों की कब्रें भी हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मस्जिद का सर्वे भी किया है और इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है।

पंडित केशव देव द्वारा मस्जिद के हिंदू मंदिर होने का दावा

इससे पहले पंडित केशव देव ने सीनियर सिविल जज के न्यायालय में एक वाद दायर किया था, जिसमें उन्होंने शाही जामा मस्जिद को एक प्राचीन हिंदू मंदिर होने का दावा किया था। पंडित केशव देव का कहना है कि इस मस्जिद का निर्माण सरकारी भूमि पर किया गया है, और इस मामले में उन्होंने मस्जिद के मुतवल्ली एम सूफियान को प्रतिवादी बनाया है। इस मामले की सुनवाई 15 फरवरी को अदालत में होगी।

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मस्जिद विवाद पर कानूनी जंग

अलीगढ़ की शाही जामा मस्जिद पर चल रही कानूनी लड़ाई अब एक नई दिशा में मुड़ गई है, जहां मुगलों के वंशजों ने अपनी अधिकारिकता जताते हुए अदालत में अपना पक्ष रखने का फैसला किया है। इस मामले में 15 फरवरी को अदालत में सुनवाई होगी, जिसमें मुगलों के वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी के द्वारा भेजे गए कागजात और उनके दावे पर चर्चा की जाएगी। इस मामले में फैसला आने से पहले ही यह विवाद काफी गर्मा चुका है, और यह सवाल भी उठने लगा है कि इस मस्जिद का असली हकदार कौन है।

 

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