UP: आरटीई में फर्जीवाड़ा, आयकरदाता अभिभावकों ने गरीब बच्चों का हक छीना

Rajesh kumar
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UP: आरटीई में फर्जीवाड़ा, आयकरदाता अभिभावकों ने गरीब बच्चों का हक छीना

आगरा। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब और वंचित बच्चों के लिए आरक्षित सीटों पर अमीर परिवारों द्वारा फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर प्रवेश लेने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अभिभावक संघ के संयोजक डॉ. मदन मोहन शर्मा ने इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है।

ज्ञापन में अभिभावक संघ ने कई ऐसे मामलों का उल्लेख किया है, जहां अभिभावकों की वार्षिक आय 5 लाख रुपये से अधिक है और उनमें से कई नियमित रूप से आयकर भी भरते हैं। इसके बावजूद, इन सक्षम परिवारों ने कथित तौर पर फर्जी आय प्रमाण पत्र या गलत शपथ पत्र प्रस्तुत कर अपने बच्चों का दाखिला आरटीई के अंतर्गत मुफ्त सीटों पर करा लिया है। अभिभावक संघ का कहना है कि यह न केवल आरटीई कानून का सरासर उल्लंघन है, बल्कि समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद वर्ग के बच्चों के संवैधानिक अधिकारों का हनन भी है।

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डॉ. मदन मोहन शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन के स्पष्ट आदेश (दिनांक 02.09.2014) के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के लिए वार्षिक आय की सीमा मात्र 1 लाख रुपये निर्धारित है। इसके बावजूद, कई संपन्न परिवारों ने नियमों को धता बताते हुए इस सरकारी सुविधा का अनुचित लाभ उठाया है।

प्रवेशों में पाई गईं ये अनियमितताएं

अभिभावक संघ द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में कई गंभीर अनियमितताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। इनमें प्रमुख रूप से आय प्रमाण पत्रों की सत्यता पर संदेह जताया गया है। इसके अतिरिक्त, ज्ञापन में विद्यालय की दूरी के निर्धारित नियमों (प्राथमिक विद्यालय के लिए 1 किमी और उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए 3 किमी) के उल्लंघन की भी बात कही गई है। अभिभावक संघ ने इसे धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक षडयंत्र का मामला बताया है।

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अभिभावक संघ ने की गहन जांच की मांग

अभिभावक संघ ने प्रशासन से मांग की है कि सभी संदिग्ध दाखिलों की तत्काल और निष्पक्ष तरीके से दोबारा जांच कराई जाए। जांच में दोषी पाए गए अभिभावकों के बच्चों का प्रवेश तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए। इसके साथ ही, इस फर्जीवाड़े में शामिल जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। ज्ञापन में दस्तावेजों की ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाने की भी मांग की गई है, ताकि फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल को रोका जा सके। इसके अलावा, अभिभावक संघ ने पुराने दाखिलों की भी समीक्षा कर विद्यालय की दूरी संबंधी मानकों का पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

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डॉ. शर्मा ने मीडिया को बताया कि इस संबंध में सभी आवश्यक प्रमाणों के साथ एक विस्तृत सूची प्रशासन को सौंपी गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन द्वारा समयबद्ध और प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती है, तो अभिभावक संघ इस मामले को माननीय उच्च न्यायालय में ले जाने के लिए बाध्य होगा, ताकि गरीब बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और दोषियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सके।

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