जैथरा (एटा)। स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में स्वच्छता और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन जैथरा नगर पंचायत में इस मिशन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नगर पंचायत से निकलने वाले कूड़ा-कचरे को नगर के बाहर सड़कों के किनारे फेंककर उसमें आग लगा दी जाती है। यह आग कई दिनों तक सुलगती रहती है, जिससे जहरीली गैसें निकलकर वायुमंडल को लगातार प्रदूषित कर रही हैं।
अपशिष्ट जलाने से स्वास्थ्य पर खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, कचरे को जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, डायऑक्सिन और फ्यूरान जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो न केवल वायु को प्रदूषित करती हैं, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती हैं। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
किसानों पर सख्ती, लेकिन नगर पंचायत को छूट क्यों?
एक तरफ किसानों द्वारा पराली जलाने पर सेटेलाइट से निगरानी कर जुर्माना लगाया जाता है, वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत द्वारा खुले में कूड़ा जलाने पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। सवाल यह उठता है कि नगर पंचायत को यह छूट कौन दे रहा है? क्या प्रशासन को केवल किसानों पर सख्ती करनी है, जबकि सरकारी तंत्र खुद प्रदूषण फैलाने में लिप्त है?
प्रशासन की लापरवाही, स्वच्छ भारत मिशन की अनदेखी
प्रदेश की योगी सरकार प्रदूषण को लेकर गंभीर है, लेकिन जैथरा नगर पंचायत में इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कचरा निस्तारण के लिए ठोस नीति नहीं अपनाई जा रही, और न ही कोई वैकल्पिक उपाय किए जा रहे हैं।
कौन देगा जवाब ?
नगर पंचायत की इस लापरवाही से स्थानीय नागरिकों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। क्या जिम्मेदार अधिकारी इस प्रदूषण पर कोई कार्रवाई करेंगे? प्रशासन को इस ओर तत्काल ध्यान देकर कूड़ा जलाने पर रोक लगानी चाहिए और अपशिष्ट प्रबंधन के सही तरीकों को अपनाना चाहिए। क्या जैथरा के लोग ऐसे ही जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर रहेंगे।