आगरा: श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट के तत्वावधान में रविवार को आगरा के महावीर भवन में ‘बाल संस्कार दिवस’ का आयोजन बड़े ही उत्साहपूर्ण माहौल में किया गया. चातुर्मासिक उद्बोधनों की श्रृंखला के तहत आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में पूज्य गुरुदेवों के सानिध्य में बच्चों और उनके अभिभावकों को जीवन को बेहतर बनाने वाले महत्वपूर्ण उपदेश मिले. प्रवचन हॉल बच्चों और उनके माता-पिता से खचाखच भरा हुआ था, जिससे पूरा वातावरण अध्यात्म और सकारात्मक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो गया.
पूज्य जय मुनि जी महाराज: सरल तरीके से संस्कारों का मार्ग
आगम ज्ञान रत्नाकर, बहुश्रुत परम पूज्य जय मुनि जी महाराज ने आधुनिक बच्चों की ज़रूरतों को समझते हुए मार्गदर्शन दिया. उन्होंने कहा कि आज के बच्चे उपदेशों से दूर भागते हैं और पुस्तकों में उनकी रुचि कम होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने चित्र और सरल पंक्तियों के माध्यम से संस्कारों को ग्रहण करने पर ज़ोर दिया. उन्होंने बच्चों को सुझाव दिया कि वे अपनी पढ़ने की जगह पर कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियाँ लिखकर रखें और उन्हें रोज़ पढ़ें ताकि वे अपने जीवन का हिस्सा बन सकें. इन पंक्तियों में माता-पिता और दादा-दादी को खुश रखने, सप्ताह में एक बार धर्म स्थान जाकर दान करने, प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक नवकार मंत्र का जाप करने, अपने गुरुओं का वंदन करने, स्क्रीन टाइम कम रखने और कभी भी मांसाहारी या मादक पदार्थों का सेवन न करने जैसे आवश्यक जीवन सूत्र शामिल थे.
उन्होंने अभिभावकों को भी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अहम सलाह दी. उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ समय बिताने से उनमें अपनत्व की भावना विकसित होती है. माता-पिता से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वे बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़ा न करें और खुद भी मोबाइल का उपयोग कम करें, ताकि बच्चे इस लत से बच सकें.
पूज्य श्री आदीश मुनि जी महाराज: संगीत और गुणों का मेल
हृदय सम्राट पूज्य श्री आदीश मुनि जी महाराज ने अपने उद्बोधन में बच्चों को समर्पित एक मनमोहक गीत के माध्यम से गुणों का वर्णन किया. उन्होंने बताया कि बच्चों के बीच रहने से तनाव अपने आप समाप्त हो जाता है. उन्होंने महामंत्र नवकार की महत्ता समझाते हुए कहा कि प्रतिदिन इसके जाप से मन शांत होता है, बुद्धि और पुण्य बढ़ता है तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. बच्चों को एक अच्छे भविष्य के लिए उन्होंने साफ-सफाई, मौनपूर्वक भोजन करने, खाना बर्बाद न करने और टीवी-मोबाइल से दूरी बनाए रखने की शिक्षा दी. उन्होंने तीव्र बुद्धि, ज्ञान और एकाग्रता के लिए “ओं ऐं सरस्वत्यैनमः” मंत्र का जाप करने की प्रेरणा दी.
एक और गीत के माध्यम से उन्होंने बच्चों के जीवन को “खिली फुलवारी” जैसा बताया, जिसमें विनय, श्रद्धा और दया की खुशबू महकनी चाहिए. उन्होंने बच्चों को सेवा भावना, सत्संग में रुचि और प्रेमपूर्ण वाणी के महत्व को समझाया.
पूज्य श्री विजय मुनि जी महाराज: प्रेम ही जीवन का आधार
पूज्य श्री विजय मुनि जी महाराज ने अपने प्रवचनों में बच्चों के कोमल मन पर बात की और प्रेम व स्नेह पर विशेष जोर दिया. उन्होंने कहा कि प्रेम एक दैवीय संपत्ति है जो समाज को फलने-फूलने में मदद करती है और सारे भेदभाव मिटा देती है. उनके अनुसार, प्रेम मनुष्य को भगवान बनाता है और दूसरों के सुख में अपना सुख देखना भी प्रेम का ही एक रूप है.
भक्तिमय वातावरण और श्रद्धालुओं की उपस्थिति
इस मौके पर लुधियाना की श्रीमती राधिका जैन और होशियारपुर की रुचि जैन ने सुंदर भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया. कार्यक्रम में लुधियाना, मोदीनगर, पानीपत, दिल्ली, किशनगढ़, मदनगंज, जम्मू, होशियारपुर और सूरत जैसे विभिन्न स्थानों से आए हज़ारों श्रद्धालुओं ने गुरु दर्शन और प्रवचनों का लाभ उठाया. श्री सनातन जैन विद्यालय के विद्यार्थियों की उपस्थिति ने इस भव्य आयोजन में चार चाँद लगा दिए, जिससे यह ‘बाल संस्कार दिवस’ truly प्रेरणादायक बन गया.