जैथरा एटा: आदर्श नगर पंचायत में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां नगर पंचायत अध्यक्ष ने व्यक्तिगत राजनीतिक दलों दुश्मनी के चलते एक नागरिक का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया। कसूर इतना भर कि उसके पिता ने मौजूदा नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
सूत्रों के अनुसार, यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब संबंधित व्यक्ति के पिता ने पिछले नगर पंचायत चुनाव में मौजूदा अध्यक्ष विवेक गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ा था। चुनावी मैदान की यह दुश्मनी अब नागरिकों के अधिकारों पर हावी होती दिख रही है।
पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने नगर पंचायत कार्यालय में जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया, लेकिन न.प. अध्यक्ष ने सीधा मना कर दिया। परिवार का आरोप है कि राजनीतिक कारणों से उनकी बेटी का जन्म प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है।
इस घटना के बाद स्थानीय लोग इस प्रकरण की खूब चर्चा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत अध्यक्ष को व्यक्तिगत राजनीतिक दुश्मनी से ऊपर उठकर अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकते हैं।
अधिवक्ता प्रशांत पुंडीर का कहना है कि किसी भी नागरिक का जन्म प्रमाण पत्र एक मूलभूत अधिकार है, जिसे किसी भी हालत में रोका नहीं जा सकता। यदि अधिकारी या नगर पंचायत अध्यक्ष ऐसे मामलों में पक्षपात करते हैं, तो यह प्रशासनिक कदाचार का स्पष्ट उदाहरण है। ऐसा कृत्य भारतीय न्याय संहिता के अनुसार दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
यह घटना सवाल उठाती है कि क्या लोकतांत्रिक संस्थाओं का दायित्व राजनीतिक विचारधाराओं से परे होना चाहिए? नगर पंचायत जैथरा का यह विवाद प्रशासन की निष्पक्षता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
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जैथरा एटा: आदर्श नगर पंचायत में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां नगर पंचायत अध्यक्ष ने व्यक्तिगत राजनीतिक दलों दुश्मनी के चलते एक नागरिक का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया। कसूर इतना भर कि उसके पिता ने मौजूदा नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ा था।सूत्रों के अनुसार, यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब संबंधित व्यक्ति के पिता ने पिछले नगर पंचायत चुनाव में मौजूदा अध्यक्ष विवेक गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ा था। चुनावी मैदान की यह दुश्मनी अब नागरिकों के अधिकारों पर हावी होती दिख रही है।
पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने नगर पंचायत कार्यालय में जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया, लेकिन न.प. अध्यक्ष ने सीधा मना कर दिया। परिवार का आरोप है कि राजनीतिक कारणों से उनकी बेटी का जन्म प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है।
इस घटना के बाद स्थानीय लोग इस प्रकरण की खूब चर्चा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत अध्यक्ष को व्यक्तिगत राजनीतिक दुश्मनी से ऊपर उठकर अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकते हैं।
अधिवक्ता प्रशांत पुंडीर का कहना है कि किसी भी नागरिक का जन्म प्रमाण पत्र एक मूलभूत अधिकार है, जिसे किसी भी हालत में रोका नहीं जा सकता। यदि अधिकारी या नगर पंचायत अध्यक्ष ऐसे मामलों में पक्षपात करते हैं, तो यह प्रशासनिक कदाचार का स्पष्ट उदाहरण है। ऐसा कृत्य भारतीय न्याय संहिता के अनुसार दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।यह घटना सवाल उठाती है कि क्या लोकतांत्रिक संस्थाओं का दायित्व राजनीतिक विचारधाराओं से परे होना चाहिए? नगर पंचायत जैथरा का यह विवाद प्रशासन की निष्पक्षता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।