जैथरा, एटा: एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर एटा के जैथरा थाने की पुलिस इस मुहिम का मखौल बनाती दिख रही है. थाना जैथरा के गांव प्रहलादपुरा की एक पीड़ित मां-बेटी पिछले कई दिनों से दबंगों के खिलाफ न्याय की गुहार लगा रही हैं, लेकिन आरोप है कि पुलिस उनकी एफआईआर तक दर्ज नहीं कर रही है.
यह घटना स्थानीय स्तर पर पुलिस के रवैये और महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है.
पीड़िता का आरोप: दबंगों ने की मारपीट और दी जान से मारने की धमकी
पीड़ित मां-बेटी ने मीडिया को बताया कि 26 जुलाई को गांव के कुछ दबंगों ने उनके साथ मारपीट, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी दी. इस घटना से डरी हुई मां-बेटी तुरंत जैथरा थाने पहुँचीं. लेकिन थाने पर उन्हें केवल आश्वासन देकर वापस भेज दिया गया.
पीड़िता का कहना है, “हम पिछले कई दिनों से रोज थाने के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन पुलिसकर्मी हमें टरका देते हैं. कभी कहते हैं कि जांच चल रही है, तो कभी कहते हैं कि सीओ से मिलो. आखिर हमें न्याय कब मिलेगा?”
पुलिस की इस निष्क्रियता के कारण पीड़ित परिवार का डर और बढ़ गया है.
पुलिस की चुप्पी से दबंगों के हौसले बुलंद, गांव में असुरक्षा का माहौल
पीड़ित परिवार ने बताया कि जब से पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की है, तब से दबंगों के हौसले और बुलंद हो गए हैं. वे खुलेआम गांव में घूम रहे हैं और लगातार पीड़ित परिवार को धमका रहे हैं. गांव के लोगों में भी इस घटना के बाद असुरक्षा का माहौल है. उनका कहना है कि अगर पुलिस का यही रवैया रहा तो आम जनता का कानून व्यवस्था से विश्वास पूरी तरह उठ जाएगा.
यह घटना सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और महिला सुरक्षा के तमाम दावों पर सवालिया निशान लगाती है. जब पीड़ित महिलाएं खुद थाने में अनसुनी की जाएं, तो इन योजनाओं का क्या महत्व रह जाता है?
एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच की मांग
पीड़िता ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा, “हम थाने में बार-बार गए, लेकिन हर बार टाल दिया गया. दबंग हमें धमका रहे हैं और पुलिस कुछ नहीं कर रही. हम और हमारी बेटी दोनों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.”
पीड़ित मां-बेटी ने उच्च अधिकारियों से अपील की है कि उनकी एफआईआर तुरंत दर्ज कर घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दबंगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए.
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मामले में उच्च अधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए ताकि जैथरा थाने की पुलिस की जवाबदेही तय हो सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके.