झांसी। बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा ने झांसी में चल रहे अवैध नर्सिंग होम्स के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय ने आयुक्त से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने जिले में बिना नक्शा पास कराए और गैर-कृषि भूमि पर धड़ल्ले से संचालित हो रहे अवैध नर्सिंग होम्स पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर अगले 7 दिनों के भीतर बुन्देलखण्ड के सभी नर्सिंग होम्स की विस्तृत जांच नहीं कराई गई, तो मोर्चा के कार्यकर्ता जिलाधिकारी की गाड़ी के सामने लेटकर विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।
आयुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में भानू सहाय ने आरोप लगाया कि बुन्देलखण्ड में अवैध नर्सिंग होम्स नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अग्नि शमन विभाग नर्सिंग होम के लिए बने कड़े नियमों का पालन सुनिश्चित कराए बिना, मात्र एक छोटा सा उपकरण लगवाकर अनुमति पत्र जारी कर रहा है। इसके अलावा, प्रदूषण विभाग भी चिकित्सीय कचरे के निस्तारण और नर्सिंग होम में प्रदूषण की स्थिति की कोई जांच नहीं करता है।
मोर्चा अध्यक्ष ने यह भी गंभीर आरोप लगाया कि नर्सिंग होम्स में केवल वही दवाएं लिखी जाती हैं, जो संबंधित चिकित्सक के नर्सिंग होम में स्थापित केमिस्ट की दुकान पर ही उपलब्ध होती हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) किस प्रकार इन अवैध नर्सिंग होम्स के संचालन की अनुमति दे रहे हैं।
भानू सहाय ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर मुख्यमंत्री, मंडल आयुक्त और जिलाधिकारी से कई बार शिकायत की गई, लेकिन हर बार जांच के नाम पर खानापूर्ति की गई और शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के जांच के आदेशों की अवहेलना कर अपनी जेब भर रहे हैं, जिसके कारण प्राइवेट नर्सिंग होम्स इतनी कमियों के बावजूद बेधड़क चल रहे हैं।
मोर्चा ने मांग की है कि एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर 7 दिन के भीतर बुन्देलखण्ड के सभी नर्सिंग होम्स की बिंदुवार और विस्तृत जांच कराई जाए। इस जांच में सभी नर्सिंग होम्स के भूमि उपयोग (लैंड यूज), नियमानुसार नक्शा पास है या नहीं, अग्नि शमन की नियमानुसार व्यवस्था है या नहीं, और प्रदूषण एवं केमिस्ट की उच्च स्तरीय जांच शामिल होनी चाहिए।
भानू सहाय ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि 7 दिनों के भीतर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा के कार्यकर्ता किसी भी बुंदेली नागरिक को अकाल मृत्यु के गाल में जाते हुए नहीं देख सकते हैं और वे मजबूर होकर जिला अधिकारियों की गाड़ी के सामने लेटकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे।
आयुक्त को ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में कुंवर बहादुर आदिम, हनीफ खान, अनिल काश्यप और अमीर चन्द भी शामिल थे।
मोर्चा की प्रमुख मांगें:
- बुन्देलखण्ड के सभी नर्सिंग होम्स की उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा 7 दिन में विस्तृत जांच।
- नर्सिंग होम्स के भूमि उपयोग और नक्शा पास होने की जांच।
- अग्नि शमन नियमों के पालन की जांच।
- प्रदूषण नियंत्रण और चिकित्सीय कचरा निस्तारण की जांच।
- नर्सिंग होम से संबद्ध केमिस्ट दुकानों की जांच।
बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा के इस अल्टीमेटम ने झांसी के स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई करता है।