गुरसरांय (झाँसी), उत्तर प्रदेश, सुल्तान आब्दी: शनिवार को हुई तेज़ बारिश ने गुरसरांय नगर पालिका के साफ-सफाई और जल निकासी के दावों की पोल खोल दी। मानसून की पहली ही बरसात में नगर की सड़कें और रास्ते जलमग्न हो गए, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा और वे व्यवस्था को कोसते नज़र आए। महीनों से जाम पड़े नालों का कचरा बारिश के पानी के साथ सड़कों पर फैल गया, जिससे स्थिति और भी बदतर हो गई है।
बदहाल व्यवस्था से संक्रामक रोगों का खतरा
शासन द्वारा बरसात के मौसम में संक्रामक रोगों से बचाव के लिए नालियों और नालों की सफाई तथा छिड़काव के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। हालांकि, पालिका प्रशासन पर इन निर्देशों का कोई असर नहीं दिखा। इसका परिणाम यह रहा कि लंबे इंतज़ार के बाद हुई मानसून की पहली बारिश ने ही नगर पालिका की तैयारियों की कलई खोल दी।
बारिश के बाद यहां का नज़ारा बेहद चौंकाने वाला था। नालियों का गंदा पानी पालिका की प्रमुख सड़कों पर बह रहा है, और जगह-जगह जलभराव होने के कारण संक्रामक रोगों के फैलने की प्रबल आशंका बन गई है। बरसात से पहले नालियों व नालों की सफाई न किए जाने से अब नालियों का पानी लोगों के घरों में घुसने लगा है, जिससे वे और अधिक परेशान हैं।
कागजों में सफाई, जमीनी हकीकत बदतर
यह स्थिति तब है जब शासन से लेकर प्रशासन तक के अधिकारी बरसात से पहले पालिका प्रशासन को व्यवस्था चाक-चौबंद करने के निर्देश दे चुके थे। लेकिन, ऐसा लगता है कि सफाई का काम केवल कागजों में ही पूरा हुआ, जिसके कारण अब जमीनी व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
कस्बे की लचर व्यवस्था के कारण बजरिया जैसे प्रमुख इलाकों में नाली का पानी सड़कों पर और दुकानों में प्रवेश कर जाता है। पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति में व्यापारियों का काफी नुकसान हुआ था। स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़क के किनारे बने नाले की नियमित सफाई न होने के कारण वह लगातार जाम रहता है और बारिश होने पर नाली का पानी सड़कों पर आ जाता है।
लाखों खर्च, फिर भी हालात जस के तस
हर साल नगर पालिका द्वारा लाखों रुपए साफ-सफाई व छिड़काव के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। कस्बे के जागरूक लोगों ने जिला प्रशासन से इस संबंध में जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके और नागरिकों को साफ-सफाई तथा उचित जल निकासी की सुविधा मिल सके।
क्या आपके शहर में भी मानसून की पहली बारिश ने ऐसी ही पोल खोली है?