झांसी, सुल्तान आब्दी: रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुशील कुमार सिंह ने क्षेत्र के किसानों को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि फसल की बुवाई शुरू करने से पहले किसानों को अपनी मृदा (मिट्टी) के स्वास्थ्य की जांच अवश्य करानी चाहिए। डॉ. सिंह ने बताया कि मिट्टी की जांच कराने से संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग किया जा सकेगा, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी और खेती की लागत भी कम आएगी।
मिट्टी जांच के फायदे: कम लागत, अधिक उत्पादन
डॉ. सुशील कुमार सिंह ने मिट्टी की जांच के निम्नलिखित प्रमुख लाभ बताए:
- कम लागत में अधिक उत्पादन: मिट्टी की सही जानकारी होने पर अनावश्यक उर्वरकों का उपयोग टाला जा सकता है, जिससे लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ता है।
- संतुलित खाद/उर्वरक की सिफारिश: जांच रिपोर्ट के आधार पर मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की कमी को जानकर संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है।
- भूमि की उर्वरा शक्ति में सुधार: सही उर्वरक प्रबंधन से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में सुधार होता है।
- लवणीय/क्षारीय क्षेत्रों की पहचान: मिट्टी की जांच से उन क्षेत्रों की पहचान हो सकेगी जो लवणीय या क्षारीय हैं, जिससे उनके सुधार के लिए उचित उपाय किए जा सकें।
- उचित फसल/फल वृक्ष चयन में सुविधा: मिट्टी के प्रकार और पोषक तत्वों के आधार पर किसान अपनी भूमि के लिए सबसे उपयुक्त फसल या फल वृक्ष का चयन कर सकते हैं।
मिट्टी जांच कब कराएं?
विश्वविद्यालय ने मिट्टी का नमूना लेने के लिए उचित समय भी बताया है:
- फसल बुवाई से 1 से 1.5 महीने पहले।
- फसल कटाई के तुरंत बाद, जब भूमि में नमी कम हो।
- जब खेत की उत्पादकता घटने लगे या फसल चक्र बदलने पर।
मिट्टी का नमूना लेने की सही विधि
डॉ. सिंह ने मिट्टी का सही नमूना लेने की विधि भी विस्तार से बताई:
- खेत के 8 से 10 अलग-अलग स्थानों पर 15 सेंटीमीटर (लगभग 6 इंच) की गहराई तक ‘T’ आकार का गड्ढा खोदें।
- प्रत्येक गड्ढे से मिट्टी निकालकर अच्छी तरह मिलाएं और लगभग 500 ग्राम नमूना एक साफ कपड़े की थैली में रखें।
- थैली पर एक लेबल लगाएं, जिस पर किसान का नाम, पता, खेत का विवरण और उगाई जाने वाली फसल का प्रकार स्पष्ट रूप से लिखा हो।
ऊसर भूमि के लिए विशेष निर्देश: ऊसर भूमि से नमूना लेते समय 15, 30, 60 और 100 सेंटीमीटर की गहराई तक अलग-अलग नमूने लें, प्रत्येक गहराई से लगभग 500 ग्राम मिट्टी लें।
बागवानी के लिए विशेष निर्देश: बागवानी के लिए मिट्टी का नमूना 2 मीटर तक की गहराई से अलग-अलग स्तरों से लेना चाहिए।
पानी का नमूना: यदि सिंचाई के पानी की जांच करानी हो तो नलकूप चलाकर या कुएं से पानी निकालकर एक साफ बोतल में भरें और बोतल पर किसान का पूरा विवरण लिखें।
मिट्टी का नमूना लेते समय सावधानियां
विश्वविद्यालय ने किसानों को मिट्टी का नमूना लेते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतने की भी सलाह दी है:
- वर्षा के तुरंत बाद या खेत में खाद डालने के तुरंत बाद नमूना न लें।
- पेड़, मेड़, रास्ता, खाद के ढेर आदि के आस-पास से नमूना न लें, क्योंकि इन स्थानों की मिट्टी सामान्य खेत की मिट्टी से अलग हो सकती है।
- अधिक जानकारी या किसी भी प्रकार की सहायता के लिए अपने निकटतम कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यालय से संपर्क करें।
रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की यह सलाह किसानों के लिए फसल उत्पादन बढ़ाने और खेती को अधिक लाभकारी बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

