दिव्यांग आकांक्षा को आत्मनिर्भर बनाने की अनूठी पहल, अब हर महीने मिलेगी 20 हजार सैलरी
लखनऊ। सड़क हादसे में दिव्यांग हुई आकांक्षा शर्मा की जिंदगी उस समय बदल गई, जब वह जिला प्रशासन से ट्राई साइकिल की मांग लेकर पहुंचीं। जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने उनकी काबिलियत को पहचानते हुए न केवल उनकी समस्या सुनी बल्कि उन्हें अकाउंटेंट की नौकरी भी दिला दी। अब आकांक्षा हर महीने 20 हजार रुपये की सैलरी पाकर आत्मनिर्भर जीवन जी सकेंगी।
दो वर्ष पूर्व में टूटा था ग़मों का पहाड़
साल 2023 आकांक्षा शर्मा के जीवन में गहरे ग़म लेकर आया। वह अपने पिता वीरेश शर्मा के साथ कहीं जा रही थीं, तभी रास्ते में भीषण हादसा हो गया। इस दुर्घटना में उनके पिता की मौत हो गई। अभी आकांक्षा इस असहनीय सदमे से उबर भी नहीं पाई थीं कि वह खुद गंभीर रूप से घायल होकर वेंटिलेटर पर पहुँच गईं। डॉक्टरों ने उनकी हालत नाज़ुक बताते हुए बचने की उम्मीद बेहद कम जताई थी। लेकिन आकांक्षा के हौंसले ने उन्हें मौत के मुंह से वापस खींच लिया। हालांकि, इस हादसे ने उनका एक पैर हमेशा के लिए छीन लिया।
आकांक्षा की हिम्मत बनी प्रेरणा
दुर्घटना के बाद दिव्यांग होने के बावजूद आकांक्षा ने कभी हार नहीं मानी। प्रशासन से केवल ट्राई साइकिल मांगने गई थीं, लेकिन उनका आत्मविश्वास और मेहनत देखकर डीएम ने सोचा कि आकांक्षा को आत्मनिर्भर बनाने का सबसे बड़ा साधन नौकरी है।
संवेदनशीलता की पहचान बनीं डीएम अस्मिता लाल
जिलाधिकारी अस्मिता लाल का यह कदम उनके पिछले कार्यकाल की ही कड़ी है। गाजियाबाद में मुख्य विकास अधिकारी रहते हुए उन्होंने भीषण गर्मियों में बेसहारा जानवरों के लिए जल उपलब्ध कराने का सुंदर अभियान चलाया था। बेजुबान की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड मशीन की भी स्थापना एक पशु चिकित्सालय पर इन्हीं के द्वारा कराई गई थी | इसके अतिरिक्त शिक्षा क्षेत्र में नवाचार करते हुए गाजियाबाद के सरकारी स्कूलों में “बोर्ड गेम से ज्ञानवर्धन और यौन उत्पीड़न से सावधान” नामक पहल शुरू की, जिसकी चर्चा प्रदेश मुख्यालय तक हुई थी। एसडीएम रहते हुए भी वे कई बार जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे बढ़कर मानवता की मिसाल पेश कर चुकी हैं।
लोगों की प्रतिक्रियाएँ
स्थानीय लोगों का कहना है कि – यदि हर अधिकारी प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ इस तरह का संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाए, तो समाज में बदलाव की लहर आ जाएगी।