एटा, उत्तर प्रदेश: एटा जनपद में पुलिस हिरासत में एक 16 साल के किशोर की कथित रूप से थर्ड डिग्री टॉर्चर से हुई मौत ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना से आक्रोशित सैकड़ों ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम हाउस पर इकट्ठा होकर जीटी रोड जाम कर दिया और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
क्या है पूरा मामला?
यह सनसनीखेज मामला एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के गाँव चंद्रभानपुर का है। परिजनों ने एसएसपी कार्यालय पहुंचकर बताया कि पुलिस ने एक लड़की के मामले में शक के आधार पर 16 वर्षीय किशोर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।
परिजनों का आरोप है कि थाने में पूछताछ के नाम पर किशोर को थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया गया, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। हालत बिगड़ने पर पुलिस ने उसे रात में ही छोड़ दिया। गंभीर चोटों के कारण घर पहुँचने के बाद उसकी मौत हो गई।
ग्रामीणों का आक्रोश और पुलिस की कार्रवाई
किशोर की मौत के बाद ग्रामीणों में भारी गुस्सा फैल गया। ग्रामीणों ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर जीटी रोड पर हंगामा किया। उनका कहना था कि लाइन हाजिर करना पर्याप्त कार्रवाई नहीं है।
स्थिति को शांत करने के लिए नेताओं के हस्तक्षेप के बाद, पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने जाम हटाया।
एसएसपी एटा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दो दरोगाओं को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया और जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, ग्रामीणों और परिजनों में अभी भी इस बात को लेकर संदेह है कि जांच निष्पक्ष होगी या नहीं।
मृतक के परिजनों ने कहा, “हमारा बच्चा दोषी था या नहीं, यह तय करने का अधिकार कानून का था, न कि पुलिस की लाठी का। अगर पुलिस ने इतनी बेरहमी से न मारा होता, तो आज वो ज़िंदा होता।” यह घटना एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली और मानवाधिकारों के हनन पर गंभीर सवाल उठा रही है।