आगरा: शनिवार को आगरा के गढ़ी रामी में महाराणा राणा सांगा की जयंती के अवसर पर आयोजित ‘रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’ क्षत्रिय समाज की अभूतपूर्व एकता, शौर्य और शक्ति का एक ऐतिहासिक प्रदर्शन बन गया। इस विशाल आयोजन में विभिन्न राज्यों से उमड़ी लाखों की भीड़ ने यह साबित कर दिया कि महान योद्धा राणा सांगा के प्रति समाज का सम्मान और अपनी एकजुटता की भावना आज भी अटूट है। माना जा रहा है कि आगरा के इतिहास में क्षत्रिय समाज का इतना बड़ा समागम पहले कभी नहीं देखा गया।
देश भर से उमड़ा क्षत्रिय समाज, केसरिया रंग में रंगा आगरा
सम्मेलन में राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से क्षत्रिय समाज के लाखों लोग पहुंचे। गढ़ी रामी का विशाल मैदान केसरिया ध्वजों और केसरिया पगड़ियों से पटा पड़ा था। युवाओं में विशेष उत्साह और जोश का संचार दिखाई दे रहा था। वे हाथों में तलवारें लहराते हुए और वीर शिरोमणि राणा सांगा के गगनभेदी जयकारे लगाते हुए अपनी भावनाओं का प्रचंड प्रदर्शन कर रहे थे। जयंती समारोह की शुरुआत से लेकर समापन तक पूरा वातावरण जोश और नारों से गुंजायमान रहा।
सपा सांसद की टिप्पणी के खिलाफ आक्रोश का ज्वार
इस विशाल प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा हाल ही में संसद में महान योद्धा राणा सांगा पर की गई एक विवादित टिप्पणी थी, जिसने पूरे देश के क्षत्रिय समाज में आक्रोश की एक तीव्र लहर पैदा कर दी थी। इसी कड़ी में, 26 मार्च को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सांसद सुमन के आवास पर पहुंचकर उग्र विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें पथराव की घटना भी हुई थी। इस घटना में घायल हुए करणी सेना के नेता ओकेंद्र राणा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश जारी कर 12 अप्रैल को आगरा में राणा सांगा की भव्य जयंती मनाने का आह्वान किया था, जिसे आज गढ़ी रामी में साकार होते देखा गया।
प्रशासन की हिचकिचाहट के बावजूद एकजुट क्षत्रिय
26 मार्च की घटना को ध्यान में रखते हुए, आगरा पुलिस शुरू में गढ़ी रामी में राणा सांगा जयंती के इस विशाल आयोजन को अनुमति देने में कुछ हिचकिचाहट महसूस कर रही थी। हालांकि, करणी सेना और आगरा के अन्य प्रमुख क्षत्रिय संगठन उसी ऐतिहासिक स्थान पर कार्यक्रम आयोजित करने के अपने संकल्प पर दृढ़ थे। अंततः, विभिन्न क्षत्रिय संगठनों के समन्वय से सनातन महासभा के बैनर तले इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन सुनिश्चित हुआ, जिसके लिए पुलिस प्रशासन ने भी सशर्त अनुमति प्रदान कर दी थी।
‘आगरा चलो’ का राष्ट्रव्यापी आह्वान बना ऐतिहासिक
करणी सेना के राष्ट्रव्यापी आह्वान का अभूतपूर्व असर देखने को मिला और 12 अप्रैल को ‘आगरा चलो’ का नारा देश भर के क्षत्रिय समुदायों में गूंजा। जयंती समारोह में भाग लेने के लिए लोगों का आगरा पहुंचना शुक्रवार से ही शुरू हो गया था। दूर-दराज के राज्यों से आए हजारों लोगों को कार्यक्रम स्थल के आसपास स्थित विभिन्न मैरिज होम और अन्य अस्थायी आवासों में ठहराया गया था। राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग बसों, निजी वाहनों और ट्रेनों के माध्यम से आगरा पहुंचे थे, और उन्होंने अपने भोजन तथा अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं स्वयं की थीं, जो उनके दृढ़ संकल्प और एकजुटता को दर्शाता है।
क्षत्रिय नेताओं ने भरी हुंकार, एकता और सम्मान का किया आह्वान
शनिवार दोपहर से शुरू हुआ राणा सांगा जयंती का मुख्य समारोह शाम पांच बजे तक चला। इस दौरान मंच से विभिन्न वक्ताओं ने क्षत्रिय समाज की गौरवशाली विरासत, वर्तमान में समाज के समक्ष चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर अपने विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में क्षत्रिय समाज की एकता, गौरव और अधिकारों पर पुरजोर तरीके से बल दिया।
करणी सेना अंतर्राष्ट्रीय के अध्यक्ष सूरज पाल सिंह अम्मू, क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप सिंह कालवी, महीपाल सिंह मकराना, करणी सेना के एक अन्य गुट के अध्यक्ष राज शेखावत, शेर सिंह राणा, वीर प्रताप सिंह वीरु और राजस्थान की करणी सेना नेता शीला गोगामेड़ी सहित कई प्रमुख क्षत्रिय नेताओं ने महाराणा राणा सांगा के अद्वितीय जीवन और उनके महान बलिदानों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने समाज के युवाओं से एकजुट रहने, अपने गौरव को बनाए रखने और अपने अधिकारों के लिए हर स्तर पर संघर्ष करने का आह्वान किया।
अन्य वक्ताओं ने समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा वीर योद्धा राणा सांगा पर दिए गए विवादास्पद बयान पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की और समाज की एकता, सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ने का दृढ़ संकल्प दोहराया। उन्होंने क्षत्रिय समाज के गौरवशाली इतिहास, वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की रणनीति पर भी अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
गढ़ी रामी में उमड़ा यह विशाल जनसैलाब न केवल महाराणा राणा सांगा को एक भव्य श्रद्धांजलि थी, बल्कि यह क्षत्रिय समाज की अटूट एकता, अदम्य साहस और अपनी पहचान तथा सम्मान की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प का भी एक स्पष्ट और शक्तिशाली संदेश था। इस ऐतिहासिक आयोजन ने निश्चित रूप से देश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर एक गहरी छाप छोड़ी है।