सुल्तान आब्दी
झाँसी | कुछ वर्षो पूर्व अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर झाँसी के पहाड़ों का वजूद पत्थरों के अवैध उत्खनन की वजह से खतरे में पड़ गया है। अब तक जनपद के अधिकांश पहाड़ों का नामोनिशान मिट चुका है और एक दर्जन पहाड़ का अस्तित्व खतरे में है। अफसरशाही व माफिया के ग॔ठजोड़ से वैध मांइस की आड़ में अवैध मांइस में खनन किया जा रहा है।
नगर क्षेत्र सहित अन्य इलाकों में दो दर्जन से ज्यादा पहाड़ियां गायब हो गयी हैं. जिन पहाड़ों के बनने में करोड़ों साल लग जाते हैं, उनमें से कई पहाड़ों को पत्थर माफियाओं ने पिछले दो दशक में मटियामेट कर दिया है
पत्थर माफियाओं ने भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से इन पहाड़ों को जड़ से खोदकर बेच दिया. नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए इन पहाड़ों की खुदाई बदस्तूर जारी है. पहाड़ों में खनन के लिए बेहिसाब पेड़ काटे गये. पेड़ों की जगह नये पेड़ नहीं लगाये गये. इनमें कई पहाड़ वनक्षेत्र में हैं. दुर्भाग्य यह है कि वन विभाग अवैध खनन को जान बूझकर नजर अंदाज करते हुए पत्थर माफियाओं को एक तरह से जंगल और पहाड़ उजाड़ने में अघोषित मदद कर रहा है. गांव के भोले भाले लोगों से माफिया पहाड़ तुड़वा रहे हैं. जो मजदूर पत्थर तोड़ने के काम में लगे हैं

मजे की बात यह है कि जिन पत्थर खदानों को प्रशासनिक महकमा वैध बताता है, उनमें अधिकतर पत्थर खदान फर्जी रिपोर्ट पर हासिल किये गये हैं. ऐसे पत्थर खदान जमीनी रूप से पूरी तरह अवैध हैं. ऐसे पत्थर खदानों की लीज लेने के लिए फर्जी ग्रामसभाएं की गयीं. कृषि योग्य भूमि, देव स्थल, स्टेट या नेशनल हाइवे, जलाशय, आबादी, विद्यालय, श्मशान घाट आदि की तय निर्धारित दूरी को गलत लिखकर लीज दिया गया. वक्त पड़ने पर प्रशासनिक महकमा इन पत्थर खदानों को वैध बताने में अपनी जी जान लगा देता है, ताकि प्रशासन और उनके अधिकारियों का असली चेहरा सामने न आ जाए

अवैध खनन के धंधे में हर तबके के लोग शामिल हैं. नेताओं, और प्रशासनिक महकमे से लेकर कई नौकरशाह तक, कइयों के तो उनके चहेतों या पारिवारिक सदस्यों या रिश्तेदारों के माइंस और क्रशरों में हिस्सेदारी भी हैं. जिनके नहीं हैं, उन्हें बाकायदा महीना बंधा है. कोई राजनीतिक दल भी अवैध खनन को मुद्दा नहीं बनाता
वहीं पंचवटी क्षेत्र स्थित आरआरसी संख्या 816 में नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था वह मगर ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ क्योंकि गरीब लोगों के आशियाने जमींदोज कर दिए गए वहीं रसूखदार लोगों का दबदबा आज भी कायम है क्योंकि आर आजी संख्या आठ सौ सोलह में सत्ता से जुड़े लोगों का अवैध अतिक्रमण है जिसके कारण नगर निगम इस अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई करने में कतरा रहा है।
वहीं प्रदेश में निडर और निष्पक्ष छवि की माने जाने वाली।
झांसी नगर आयुक्त आकांक्षा राणा से अब वह गरीब लोग आस लगाए बैठे हैं कि जिस तरह से उन लोगों के आशियाने जमींदोज किए गए उसी तरह।
क्या इन सफेद पोषो के भी अवैध अतिक्रमण को हटाया जाएगा।?
