झांसी, उत्तर प्रदेश, सुल्तान आब्दी: एक ओर जहां केंद्र और प्रदेश सरकारें बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने और उनके लिए लोन उपलब्ध कराने का भरसक प्रयास कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार कर पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है. झांसी में एक ऐसे ही ठगी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो पीएम रोजगार लोन के नाम पर भोले-भाले युवाओं को अपना शिकार बना रहा है. इस गिरोह के तार रक्सा के ग्राम सिजवाह से लेकर बैंक तक फैले हुए हैं.
ठगी का शिकार हुआ नंदनपुरा निवासी संदीप प्रजापति
मामला सीपरी बाजार के नंदनपुरा निवासी संदीप प्रजापति से जुड़ा है. संदीप को रक्सा के ग्राम सिजवाह निवासी एक पूर्व प्रधान और उसके साथियों ने रोजगार के लिए सीपरी बाजार स्थित आर्यकन्या स्कूल चौराहा के पास एक बैंक से 5-5 लाख रुपये के दो लोन दिलाने का झांसा दिया. संदीप प्रजापति से सभी आवश्यक दस्तावेज ले लिए गए.
संदीप का आरोप है कि उसे एक रात 9 बजे फोन करके बैंक बुलाया गया और बताया गया कि उसके पैसे आ गए हैं. जब वह बैंक पहुंचा, तो उसे यह कहकर चलता कर दिया गया कि उसका लोन कैंसिल हो गया है. इस दौरान उससे कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी कराए गए. तीन महीने बाद संदीप के मोबाइल पर फोन आया कि उसका 10 लाख रुपये का लोन चल रहा है और उसे किश्त अदा करनी होगी, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
बैंक में नहीं मिले दस्तावेज, सीसीटीवी फुटेज में मिले अहम सुराग
जब संदीप दोबारा बैंक पहुंचा और जानकारियां जुटाईं, तो बैंक कर्मी उसे वह कोटेशन नहीं दिखा सके जिस पर उसका लोन पास हुआ था. ‘जब संवाददाता को यह जानकारी मिली, तो गोपनीय रूप से पड़ताल की और बैंक कर्मियों से दस्तावेज मांगे. बैंक कर्मियों ने बताया कि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है और पहले के जो कर्मचारी यहां तैनात थे, लोन उन्होंने ही किया था. बैंक कर्मियों ने यह भी बताया कि आखिर लोन किस आधार पर हुए, इसकी पूरी डिटेल पुलिस से शिकायत के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी.
ठगी का पैसा कई खातों में हुआ ट्रांसफर, बैंक कर्मियों की संलिप्तता का संदेह
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, लोन का पैसा कई बैंक अकाउंट में भेजा गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि जिन अकाउंट में यह ठगी का पैसा भेजा गया, उन अकाउंट के धारक उसी बैंक में दस दिन पूर्व से ही डेरा जमाए रहते थे. बैंक में लगे सीसीटीवी फुटेज इस बात के गवाह हैं.
यह बात भी सामने आई है कि जहां आमतौर पर 1 लाख रुपये का लोन लेने के लिए लोगों की चप्पलें घिस जाती हैं, वहीं इस ठग गिरोह के तार बैंक के अंदर तक फैले होने के कारण आधी रात को भी खाताधारक को बुलाकर लोन पास कर दिया जाता था. लेकिन, जिसका लोन पास होता था, उसे एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती थी; सारा पैसा मिनटों में दूसरे खातों में ट्रांसफर हो जाता था.
बड़े घोटाले की आशंका, कार्रवाई की मांग
यह तो केवल 10 लाख रुपये की ठगी का एक मामला सामने आया है. अगर शासन-प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और इसकी व्यापक जांच कराए, तो सरकार के ऐसे करोड़ों रुपयों का खुलासा हो सकता है, जिन्हें ऐसे ठग गिरोहों ने दबा रखा है. साथ ही, उन बैंक कर्मियों पर भी कार्रवाई हो सकती है जो बैंक में रहकर गरीब और सीधे-सादे लोगों के साथ ठगी करके तबादले कराकर भाग जाते हैं.
प्रशासन से अपील की जा रही है कि वे इस मामले में तुरंत संज्ञान लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ताकि बेरोजगारों को ठगी का शिकार होने से बचाया जा सके और सरकारी योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंच सके.