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जीवन ही नहीं, सृष्टि को अनुशासित भी करते हैं भगवान सूर्य

Saurabh Sharma
2 Min Read

आगरा :  श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग**: ‘यदि भगवान सूर्य ना हों तो यह संसार निष्प्राण है। भगवान सूर्य केवल जीवन ही नहीं देते, बल्कि अनुशासन भी सिखाते हैं,’ यह वचन कथावाचक डॉ. दीपिका उपाध्याय ने आज आयोजित श्री भविष्य पुराण कथा प्रवचन के पहले दिन कहा।

गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस प्रवचन श्रृंखला की शुरुआत कलश स्थापना और पुराण पूजन के साथ हुई। डॉ. उपाध्याय ने पांडव वंशी राजा शतानीक और श्री वेदव्यास के शिष्य ऋषि सुमंतु के संवाद का मनोहारी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब गुणी लोग ज्ञानीजनों से मिलते हैं, तो ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं, लेकिन कलिकाल में मनुष्य अपने झूठे अहं का प्रदर्शन करता है।

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भोजन के नियम और सृष्टि की रचना

कथावाचक ने भविष्य पुराण में वर्णित भोजन के नियम, सृष्टि की रचना, कल्प, मन्वंतर विभाग, और चारों युगों की विशेषताओं का भी रोचक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि एक श्रेष्ठ मनुष्य को किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए। प्रवचन के दौरान, पूजन और कर्मकांड में की जाने वाली क्रियाओं के पीछे के कारण सुनकर लोग आश्चर्यचकित रह गए।

फाउंडेशन का उद्देश्य

फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने बताया कि यह पुराण प्रवचन 7 दिनों तक चलेगा। इसके माध्यम से समाज को जीवनोपयोगी ज्ञान मिलेगा और लुप्त हो चुके ग्रंथों का प्रचार-प्रसार होगा, यही फाउंडेशन का उद्देश्य है।

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इस अवसर पर कान्ता शर्मा, वरदान, निष्ठा आदि उपस्थित रहे। भगवान के नाम संकीर्तन और प्रसाद वितरण के साथ कथा का विश्राम हुआ।

 

 

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