ममता कुलकर्णी ने छोड़ा किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद, इस्तीफा देकर कहा-“बचपन से साध्वी हूं और आगे भी रहूंगी”

Deepak Sharma
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प्रयागराज: पूर्व बालीवुड अदाकारा ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा दे दिया है। ममता कुलकर्णी को हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया था, लेकिन उनकी यह नियुक्ति विवादों में घिर गई। कई संतों और अखाड़ों ने ममता कुलकर्णी की नियुक्ति का विरोध किया था, जिसके बाद आज सोमवार को उन्होंने महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया।

ममता कुलकर्णी ने अपनी इस्तीफे की घोषणा करते हुए न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, “मैं महामंडलेश्वर यामाई ममता नंदगिरी, इस पद से इस्तीफा दे रही हूं। किन्नर अखाड़े में मेरे पद को लेकर काफी समस्याएं उठ रही हैं। मैं पिछले 25 सालों से साध्वी रही हूं और साध्वी ही रहूंगी।”

महामंडलेश्वर पद पर विवाद

ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर नियुक्ति के बाद से ही इसे लेकर विवाद शुरू हो गया था। खासकर इस निर्णय को लेकर कई संतों और अखाड़ों ने अपनी आपत्ति जताई थी। ममता ने इस पर कहा कि यह पद उनके लिए सम्मान था, लेकिन इसका विरोध होने लगा। उन्होंने यह उदाहरण दिया कि जैसे कोई व्यक्ति 25 साल तक तैराकी करता हो और फिर उसे तैराकी सिखाने के लिए कहा जाए, लेकिन इस पर भी लोग आपत्ति जताते हैं।

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साध्वी जीवन से जुड़ी ममता की बाते

ममता ने आगे कहा कि वह पिछले 25 सालों से फिल्मी दुनिया को छोड़कर साध्वी जीवन जी रही हैं। उनका कहना था कि साध्वी जीवन के बाद अगर उन्हें किसी और क्षेत्र से जुड़ी जिम्मेदारी दी जाती है तो उसे निभाने के लिए उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। ममता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका साध्वी जीवन उनके लिए महत्वपूर्ण है और वह इसी जीवन को आगे भी जारी रखेंगी।

ममता कुलकर्णी ने फिल्मी दुनिया को छोड़ने के बाद अपनी पूरी जिंदगी साध्वी के रूप में बिता दी है, और यही कारण था कि उन्हें इस पद के लिए सम्मानित किया गया था। हालांकि, इस पद की जिम्मेदारी को लेकर उठे विवादों ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया।

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महाकुंभ में पिंडदान और पट्टाभिषेक

ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज महाकुंभ में अपने पिंडदान की प्रक्रिया पूरी की थी, जिसके बाद किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की नियुक्ति की गई थी। उनकी यह नियुक्ति एक ऐतिहासिक घटना के रूप में देखी जा रही थी, क्योंकि ममता ने फिल्मी करियर से पूरी तरह अलविदा लेने के बाद आध्यात्मिक जीवन की ओर रुख किया था।

संतों और अखाड़ों की आपत्तियां

महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता कुलकर्णी को लेकर संतों और अखाड़ों के बीच विवाद उठ खड़ा हुआ था। शंकराचार्य समेत कई प्रमुख संतों ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे और इसका विरोध किया था। उनके मुताबिक, एक फिल्मी सितारे को महामंडलेश्वर का पद देना एक विवादास्पद कदम था। ममता के लिए यह स्थिति कठिन हो गई और उन्होंने इस विवाद को समाप्त करने के लिए इस्तीफा देने का निर्णय लिया।

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ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक जीवन

ममता कुलकर्णी ने फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाई थी, लेकिन उनके लिए यह जीवन केवल एक पड़ाव था। उन्होंने 25 साल पहले फिल्मी दुनिया को अलविदा लिया और साध्वी जीवन को अपनाया। ममता का कहना है कि उनका आध्यात्मिक जीवन उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है और वह इसी रास्ते पर चलेंगी।

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