मथुरा: मिशन कंपाउंड भूमि विवाद गहराया, निगम कर्मियों की मौजूदगी में बनी बाउंड्री 5 दिन बाद तोड़ी; भूस्वामी और निगम आमने-सामने

Dharmender Singh Malik
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मथुरा: मिशन कंपाउंड भूमि विवाद गहराया, निगम कर्मियों की मौजूदगी में बनी बाउंड्री 5 दिन बाद तोड़ी; भूस्वामी और निगम आमने-सामने

मथुरा: मिशन कंपाउंड भूमि प्रकरण में नगर निगम पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। विगत 28 जून को कथित तौर पर नगर निगम कर्मचारियों की उपस्थिति में बनाई गई एक बाउंड्री वॉल को सुबह तड़के 5 बजे निगम द्वारा गिरा दिया गया। इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और भूस्वामी व नगर निगम प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं।

निगम की कार्यशैली पर उठे सवाल

सवाल यह उठ रहा है कि यदि यह अवैध कब्ज़ा था, तो निगम प्रशासन ने इसे शुरुआत में होने क्यों दिया? और फिर, बिना उचित नोटिस के इतनी जल्दबाजी में बाउंड्री क्यों गिराई गई? नगर निगम की इस कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

भूस्वामी का दावा और आरोप

भूस्वामी मयंक वर्मा ने बताया कि सदर रोड पर चर्च के समीप खसरा संख्या 3193 (केवट संख्या 80) में स्थित जमीन को उन्होंने वर्ष 2011 में न्यायालय के आदेशानुसार क्रय किया था, जिसका क्षेत्रफल 3037 वर्ग मीटर है। उसी भूखंड की बाउंड्री वॉल का निर्माण 28 जून को कराया गया था। उन्होंने बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश पर आसपास की पूरी जगह की पैमाइश नगर निगम और तहसील की संयुक्त टीम द्वारा कराई गई थी।

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मयंक वर्मा ने आरोप लगाया है कि कुछ भूमाफिया उनके पीछे पड़े हैं जो विभिन्न प्रकार की अफवाहें और झूठी शिकायतें फैलाकर उन्हें परेशान व बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह जमीन चर्च प्रशासन द्वारा 2005 में उन्हें बेची गई थी, जिसमें जिला जज या जिलाधिकारी की लिखित अनुमति आवश्यक थी, जिसे प्राप्त होने के बाद ही बैनामा कराया गया था। भूस्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि नगर निगम द्वारा लगाए गए निगम के स्वामित्व वाले बोर्ड उनके द्वारा नहीं उखाड़े गए हैं, जैसा कि निगम आरोप लगा रहा है।

अपर नगर आयुक्त का स्पष्टीकरण

पूरे मामले को लेकर अपर नगर आयुक्त ने कहा कि आज नगर निगम की टीम ने खसरा नंबर 3193 पर कुछ भूमाफियाओं द्वारा किए गए अवैध कब्ज़े को हटाया है। उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने जांच कर उन्हें अवगत कराया था कि 28 जून को जब अधिक बरसात हो रही थी, उसी दिन यह बाउंड्री वॉल बिना किसी पैमाइश और बंटवारे के अवैध रूप से बनाई जा रही थी। सूचना प्राप्त होने पर 30 जून को उनको नोटिस दिया गया था, लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया और अतिक्रमण जारी रखा गया था, जिसके कारण  3 जुलाई को सुबह अतिक्रमण को हटाया गया।

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हालांकि, जब अपर नगर आयुक्त से सवाल किया गया कि जिस दिन अतिक्रमण हो रहा था, उस वक्त नगर निगम के कुछ कर्मचारी वहां मौजूद थे, तो उन्होंने इस बात से इनकार किया। इसके विपरीत, पीड़ित मयंक वर्मा ने बताया कि जिस समय वे अपनी बाउंड्री वॉल कर रहे थे, वहां नगर निगम के कर्मचारी मौजूद थे और उनके पास इसके साक्ष्य भी मौजूद हैं।

इस भूमि विवाद ने मथुरा में एक नया राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दा खड़ा कर दिया है, जिसकी आगे की कार्रवाई पर सभी की नजरें रहेंगी।

 

 

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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