मथुरा: मथुरा का पेड़ा अब व्रत का भोग नहीं रह गया है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मावा के साथ सूजी मिलाकर तैयार किया जा रहा पेड़ा मिलावटी नहीं माना जाता है और इसके खिलाफ कोई कार्यवाही का प्रावधान नहीं है। महंगाई के कारण पेडे की कीमत बढ़ने से बचाने के लिए व्यापारी अब मावा में सूजी मिला कर पेड़ा बना रहे हैं, ताकि इसकी कीमत कम हो सके और इसकी खपत बढ़ सके।
खाद्य सुरक्षा विभाग के मुताबिक, सूजी को मावा के साथ मिलाकर तैयार किया गया पेड़ा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। इससे पेडे की कीमत कम हो जाती है और कारोबारी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि, यह बदलाव मथुरा के पारंपरिक पेड़े की पहचान पर संकट पैदा कर रहा है, क्योंकि ब्रज में पेड़ा को भगवान का भोग माना जाता है।
भक्तों के लिए पेड़ा प्रसाद के रूप में बांटा जाता है, और इसे श्रद्धा से ग्रहण किया जाता है। व्रत करने वाले लोग अन्न ग्रहण नहीं करते, ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वे इस बदलते पेड़े को भोग के रूप में स्वीकार कर पाएंगे।
हाल ही में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने वृंदावन, गोवर्धन और श्रीकृष्ण जन्मभूमि क्षेत्र में दुकानों पर बिक रहे पेड़े के सैंपल लिए और 500 किलो से अधिक सामग्री को नष्ट कर दिया था।
वर्जन: खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी ने कहा कि मावा में सूजी मिलाकर तैयार किया गया पेड़ा मिलावटी नहीं होता है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है और इससे पेड़े की कीमत कम होती है, जिससे कारोबारी अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं। इसलिए इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है।