मायावती को अब चंद्रशेखर के संघर्ष में साथ देना चाहिए… आगरा के दलित वोटरों को भा रही है चंद्रशेखर की राजनीति

Aditya Acharya
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आगरा: उत्तर प्रदेश में दलित आंदोलन कई भागों में बंटता नजर आ रहा है। एक तरफ 4 बार की मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati News) हैं तो दूसरी ओर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर (Chandra Shekhar News) खड़े हैं। दलित युवाओं में जोश भरने वाले चंद्रशेखर की लोकप्रियता मायावती के लिए चुनौती बन रही है। यही वजह है रविवार को आगरा में हुई जनसभा में युवाओं, बुजुर्गों के साथ-साथ महिलाओं की भीड़ भी अच्छी खासी रही। एनबीटी ऑनलाइन से बात करते हुए दलित महिलाओं ने बताया कि मायावती ने जनता से मुंह मोड़ लिया है, जबकि चंद्रशेखर बिना किसी जाति भेदभाव के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। यही वजह है कि अबकी बार वे बीएसपी के बजाए चंद्रशेखर की पार्टी को वोट देना चाहती हैं।

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रविवार को आगरा के जीआईसी मैदान में चंद्रशेखर आजाद ने संविधान बचाओ संकल्प सभा की। चंद्रशेखर ने दलितों के साथ हुई घटनाओं पर प्रदेश सरकार को घेरा। हाथरस कांड में मुख्यमंत्री के वायदे पर सवाल खड़े किए। चंद्रशेखर ने कहा कि संविधान के तहत सभी को स्वाभिमान और सम्मान से जीने का अधिकार है, लेकिन देश में गैर बराबरी की स्थिति बनी हुई है, जब तक ये दूर नहीं होगी संविधान की नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि संविधान को बचाने के लिए जान की बाजी तक लगा दी जाएगी। जनसभा के बाद वे शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर सांत्वना देने पहुंचे थे।

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वोटरों को साधते रहे चंद्रशेखर

भीम आर्मी के चीफ और आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद दलित वोटरों में सेंधमारी का प्रयास कर रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी को आगामी चुनावों में नुकसान पहुंचा सकते हैं। संविधान बचाओ जनसभाओं में चंद्रशेखर अपने लिए राजनैतिक सपोर्ट मांग रहे हैं। चंद्रशेखर ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि अगर वे उन्हें चुनकर विधानसभा या संसद में नहीं भेजेंगे तो वे उनके लिए संघर्ष कैसे करेंगे। उन्होंने सरकार में बैठे दलित नेताओं पर जमकर कटाक्ष किया। बिखरते दलित वोट बैंक को जैसे मायावती एकत्रित करने का प्रयास करती हैं, ठीक उसी तरह से चंद्रशेखर दलितों की संवेदनाओं को अपने प्रति जाग्रत करत हुए नजर आए।

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