अशोक सिद्धार्थ के बेटे की शादी में शामिल होने के कारण मायावती का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ है, जिसकी वजह से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में लगातार बड़े पैमाने पर “सफाई अभियान” चल रहा है. पिछले साल आगरा में हुई इस शादी में कई बसपा नेता शामिल हुए थे, जिसे मायावती ने अशोक सिद्धार्थ द्वारा शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा.
मायावती के गुस्से का कारण और उसके परिणाम
यह शादी आगरा के फतेहाबाद रोड स्थित राजदेवम मैरिज होम में हुई थी, जिसमें फिरोजाबाद के एक वरिष्ठ बसपा नेता का परिवार वधू पक्ष में था. इस शादी में पूरे उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में बसपा के दिग्गज नेता पहुंचे थे. खास बात यह थी कि अशोक सिद्धार्थ के दामाद और मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी इस शादी में मौजूद थे.
सूत्रों के मुताबिक, इस शादी में बसपा नेताओं की भारी भीड़ को देखकर मायावती को लगा कि अशोक सिद्धार्थ, जो उनके समधी भी हैं, पार्टी के भीतर एक समानांतर शक्ति केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसी शक ने उनके गुस्से को जन्म दिया, जो अब तक शांत नहीं हुआ है.
पार्टी से निष्कासन का सिलसिला
इस शादी के बाद ही मायावती ने उन सभी नेताओं को अपने रडार पर लेना शुरू कर दिया, जो अशोक सिद्धार्थ से जुड़े थे या उनके बेटे की शादी में शामिल हुए थे.
- सबसे पहले फिरोजाबाद के वरिष्ठ नेता ज्ञान सिंह और आगरा के प्रभावशाली बसपा नेता गोरे लाल जाटव को पार्टी से बाहर किया गया.
- बाद में अशोक सिद्धार्थ को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
मायावती का गुस्सा यहीं नहीं थमा. उन्होंने अपने भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद को भी पद से हटा दिया था, हालांकि आकाश आनंद ने बाद में मायावती का विश्वास दोबारा जीतकर पार्टी में वापसी कर ली है और अब वह राष्ट्रीय स्तर पर बसपा के चीफ कोऑर्डिनेटर हैं.
आज भी, जो भी नेता अशोक सिद्धार्थ से किसी भी रूप में संबंध रखते हैं, वे मायावती के निशाने पर बने हुए हैं. हाल ही में मिर्जापुर और प्रयागराज मंडल के कोऑर्डिनेटरों को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है. मायावती इस समय पार्टी को उसके पुराने स्वरूप में वापस लाने के अभियान में जुटी हुई हैं और लगातार मंडलवार बैठकों के माध्यम से नेताओं की नब्ज टटोल रही हैं. जैसे ही उन्हें किसी नेता के संबंध अशोक सिद्धार्थ से जुड़े होने का कोई संकेत मिलता है, वे तुरंत कार्रवाई करती हैं.