महापौर हेमलता दिवाकर ने नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल और सहायक अभियंता सोमेश कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं और उनकी जांच की मांग की है।
Agra news, आगरा: नगर निगम में भ्रष्टाचार का खेल कोई नई बात नहीं है, लेकिन महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाहा ने जब से अपना कार्यभार संभाला है, तब से भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जंग और अधिक तेज हो गई है। पहले यह जंग अधिशासी अभियंता आरके सिंह को लेकर थी, जिसके बाद अभियंता को नगर निगम से रिलीव किया गया। अब, महापौर का आक्रोश सहायक अभियंता सोमेश कुमार पर केंद्रित हो गया है, और नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
महापौर हेमलता दिवाकर ने प्रमुख सचिव नगर विकास को पत्र लिखकर नगर निगम के सहायक अभियंता सोमेश कुमार के खिलाफ जांच की मांग की है। महापौर का आरोप है कि सोमेश कुमार ने नगर निगम में व्यापक वित्तीय अनियमितताएं की हैं और अवर अभियंताओं के कार्यक्षेत्र में अवैध हस्तक्षेप कर कमीशनखोरी के जरिए निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा, महापौर ने यह भी आरोप लगाया कि सोमेश कुमार ने अवर अभियंताओं के स्थान पर खुद हस्ताक्षर किए, जिससे संबंधित कार्यों की लागत में अत्यधिक वृद्धि हुई।
सहायक अभियंता पर गंभीर आरोप
महापौर ने कहा कि जब पार्षदों ने सोमेश कुमार से कार्यों की गुणवत्ता और मानक को लेकर शिकायत की, तो उन्होंने अभद्र व्यवहार किया और यहां तक कि पिस्तौल दिखाकर धमकी दी। यह घटना गंभीर उल्लंघन के रूप में सामने आई, क्योंकि किसी भी अधिकारी को अपने कार्यालय में हथियार लाने की अनुमति नहीं है।
महापौर के अनुसार, सहायक अभियंता ने हरीपर्वत जोन, लोहामंडी जोन और ताजगंज जोन में अक्टूबर-नवंबर 2024 के दौरान ठेकेदारों की एमवी और बिलों पर अपने हस्ताक्षर किए, जबकि इन कार्यों को अन्य अवर अभियंता द्वारा किया जा रहा था। इसके अलावा, जनकपुरी महोत्सव 2024 में किए गए कार्यों के लिए अत्यधिक आगणन तैयार कर अपने चहेते ठेकेदारों को तीन गुना भुगतान करवा दिया, जिससे नगर निगम को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
महापौर ने यह भी आरोप लगाया कि नगर आयुक्त ने सोमेश कुमार के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जबकि पार्षदों ने एमवी, आगणन और बिलों की छाया प्रति में इन अनियमितताओं के स्पष्ट सबूत दिए थे। महापौर का मानना है कि नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने सोमेश कुमार को संरक्षण दिया, जिसके कारण वह बिना किसी डर के गलत कार्य कर रहे हैं।
क्या होगी शासन की प्रतिक्रिया?
महापौर ने प्रमुख सचिव नगर विकास से मांग की है कि सोमेश कुमार के कृत्यों की पूरी जांच की जाए और उनका स्थानांतरण किया जाए। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सोमेश कुमार पिछले 12 वर्षों से आगरा मंडल में तैनात हैं और उनके कार्यों ने नगर निगम की छवि को धूमिल किया है। अब सवाल यह है कि शासन इस मामले में क्या कार्रवाई करेगा और क्या नगर निगम आगरा में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम उठाएगा।
महापौर के भतीजे हर्ष में आक्रोश
हाल ही में नगर निगम में कार्यकारिणी की बैठक के दौरान महापौर के भतीजे हर्ष ने भी सहायक अभियंता सोमेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव डाला था। इस पर बवाल मच गया था, और यह सवाल उठने लगा कि क्या महापौर के आदेश अधिकारियों के भ्रष्टाचार के आगे कमजोर साबित हो रहे हैं। हर्ष का कहना है कि महापौर के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है और भारतीय जनता पार्टी को भी इस मामले में आवाज उठानी चाहिए।
नगर निगम में सपा के प्रभाव की चर्चा
नगर निगम में अधिकारियों की तैनाती पर भी सवाल उठ रहे हैं। चर्चा है कि भाजपा सरकार के तहत नगर निगम में सपा के प्रभाव के तहत अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। खासकर यादव अधिकारियों की तैनाती के चलते कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामलों में इन अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
भू-माफिया का कब्जा और नगर निगम की जमीन
शाहदरा क्षेत्र में एक भूमाफिया द्वारा नगर निगम की जमीन पर सड़क बनाने का मामला भी सामने आया है। हाल ही में नगर निगम के अधिकारियों ने इस पर कार्रवाई करने की कोशिश की, लेकिन भूमाफिया ने इंजीनियर को अकेले ही वहां से उल्टे पांव लौटा दिया। सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम ने बताया कि वे भू-माफिया के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं और यह जमीन नगर आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों की सांठ-गांठ से कब्जाई जा रही है।
नगर आयुक्त के कार्यकाल में असफल अभियान
नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल के कार्यकाल में अब तक कोई भी अभियान शहर में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है। स्वच्छता, पॉलिथीन, अतिक्रमण और अन्य अभियानों में करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन शहर की हालत जस की तस बनी हुई है।
श्वानों के बधियाकरण एवं रेबीज अभियान पर सवाल
महापौर ने श्वानों के बधियाकरण और रेबीज अभियान में हुए घोटाले की जांच की थी, लेकिन नगर आयुक्त के संरक्षण में यह जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई है। यह मामला शहर में हो रहे अन्य घोटालों की तरह नगर निगम में भ्रष्टाचार की गंभीर स्थिति को उजागर करता है।