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स्कूलों की मनमानी पर श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी की बैठक सम्पन्न

BRAJESH KUMAR GAUTAM
3 Min Read
स्कूलों की मनमानी पर श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी की बैठक सम्पन्न

Agra News: स्कूलों में प्रवेश के समय अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डालने की बढ़ती समस्या को लेकर श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता नकुल सारस्वत, विधायक शर्मा और संचालन संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन शर्मा ने किया। इस बैठक में स्कूलों की मनमानी को रोकने और अभिभावकों को राहत दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई।

बैठक का उद्देश्य और मुद्दे

बैठक में यह मुख्य रूप से चर्चा की गई कि वर्तमान समय में कई निजी स्कूल अपने अभिभावकों से किताबें, कॉपियां, यूनिफॉर्म और अन्य आवश्यक सामग्रियों की खरीदारी के लिए उन्हें जबरन अपनी पसंदीदा दुकानों से सामान खरीदने पर मजबूर कर रहे हैं। इससे माता-पिता पर भारी आर्थिक बोझ डाल रहा है और उनका परिवारिक बजट प्रभावित हो रहा है। बैठक में इस समस्या के समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण कदमों पर विचार किया गया।

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इस मुद्दे पर संस्था ने यह निर्णय लिया कि वे मुख्य विकास अधिकारी (CDO) को ज्ञापन सौंपेंगे, ताकि प्रशासन इस पर उचित कार्रवाई कर सके। यदि प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो संस्था चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति तैयार करने पर विचार कर रही है।

संस्था की मुख्य मांगें

  1. स्कूलों को सरकारी गाइडलाइंस का पालन करना अनिवार्य किया जाए।

  2. अभिभावकों को स्वतंत्र रूप से किताबें, कॉपियां और अन्य सामान खरीदने की अनुमति दी जाए।

  3. स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी फीस वसूली की जांच की जाए।

  4. शिक्षा विभाग इस मुद्दे पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे।

बैठक में उपस्थित प्रमुख सदस्य

बैठक में श्री बांके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य भी उपस्थित रहे, जिनमें नकुल सारस्वत, विधायक शर्मा, पवन मिश्रा, गीता यादव, काजल, कंचन दुबे, नवीन खुबानी, वेद प्रकाश जायसवाल, कुसुम सक्सेना, विजय सक्सेना, अनिल कुशवाहा, डॉ. अमित सिंह, अर्जुन चौरसिया, प्रदीप धीरानी, मुकेश राठौर, सोमेश गुप्ता, दीप उपाध्याय, मृदुल सारस्वत, पंकज गुप्ता सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।

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संस्था ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन द्वारा इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे अभिभावकों के समर्थन में आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्कूलों की मनमानी पर कड़ा नियंत्रण और शिक्षा प्रणाली को सभी के लिए सुगम बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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