आगरा: भारतीय किसान यूनियन (किसान) की जिला अध्यक्ष ममता पचौरी ने आगरा के किसानों की समस्याओं को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार को एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में किसानों की विभिन्न मांगों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन पर तत्काल ध्यान देने की मांग की गई है।
किसानों की मुख्य मांगें
* खाद की कमी और कालाबाजारी: ज्ञापन में डीएपी और यूरिया जैसी जरूरी खादों की भारी कमी का मुद्दा उठाया गया है। किसानों को खाद खरीदने के लिए घंटों लंबी लाइनों में खड़ा रहना पड़ रहा है, और फिर भी खाद नहीं मिल पा रही है। इसके साथ ही, खाद की कालाबाजारी भी बढ़ गई है, जिससे किसानों को अधिक कीमतों पर खाद खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। ममता पचौरी ने सरकार से इस पर तुरंत लगाम लगाने की मांग की है।
* 15 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति: कृषि कार्य के लिए बिजली की आवश्यकता को देखते हुए, किसानों ने प्रतिदिन कम से कम 15 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की मांग की है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उन्हें बहुत कम बिजली मिल रही है, जिससे सिंचाई और अन्य कृषि उपकरण चलाने में भारी दिक्कतें आ रही हैं।
* निजीकरण और स्मार्ट मीटर पर रोक: ज्ञापन में विद्युत विभाग के निजीकरण और स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की भी मांग की गई है।
* नहरों और रजवाहों की मरम्मत: हर साल नहरों और रजवाहों (बंबा) की पटरियां कटने से किसानों की हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि नहरों और रजवाहों की पटरियों को मानक के अनुसार बनाया जाए।
* फसल बीमा योजना का सरलीकरण: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सरलीकरण करने और ग्राम पंचायत सचिव, लेखपाल व अन्य सरकारी मशीनरी का उपयोग करके प्रत्येक ग्रामीण किसान तक इसका लाभ पहुंचाने की मांग की गई है।
* आवारा पशुओं की समस्या: सड़कों पर घूम रही आवारा गायों को पकड़कर गौशाला पहुंचाने और गौशालाओं में सीसीटीवी कैमरे लगाकर उनकी देखरेख की ट्रैकिंग सुनिश्चित करने की मांग की गई है। इसके साथ ही, यदि कहीं भी आवारा गोवंश सड़कों पर दिखते हैं, तो संबंधित गौशालाओं के अधिकारियों और पंचायत सचिव पर कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है।
आंदोलन की चेतावनी
ज्ञापन के अंत में ममता पचौरी ने चेतावनी दी है कि यदि इन समस्याओं पर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो भारतीय किसान यूनियन (किसान) पूरे प्रदेश में चक्का जाम और उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी। इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की होगी।
