अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नए युग’ और भागवत के ‘रामराज्य’ के संकल्पों के आह्वान पर आधारित सीएम योगी का बजट ‘अमल’ का संदेश देता है। विश्लेषकों का कहना है कि आदर्श शासन व्यवस्था के लिए रामराज्य उत्कृष्ट मानक है।
चुनावी तैयारियों के बीच रामराज्य की धुन
लोकसभा चुनावों को देखते हुए विपक्ष की आलोचनाओं के बीच हर स्तर पर रामराज्य की धुन सुनाई दे रही है। सीएम योगी ने न सिर्फ वित्त वर्ष 2024-25 के बजट के विचार और संकल्प को ‘राममय’ बताया, बल्कि राम को लोकमंगल का प्रतीक और बजट प्रस्तावों को लोकमंगल को समर्पित बताया।
रामराज्य: आदर्श शासन व्यवस्था का मानक
विश्लेषकों का कहना है कि आदर्श शासन व्यवस्था के लिए रामराज्य उत्कृष्ट मानक है। रामराज्य का मतलब है ऐसा शासन जिसमें दैहिक, दैविक, भौतिक किसी तरह का ताप न हो। योगी सरकार ने अपने लिए ऐसे मानक को तय किया है, यह बड़ी बात है।
बजट में रामराज्य की झलक
कानून-व्यवस्था में सुधार:
- निरोगी जीवन के लिए 5 लाख रुपये तक इलाज की व्यवस्था।
- आवास, शौचालय, गैस सिलेंडर, राशन जैसी योजनाएं।
- किसानों के लिए मुफ्त सिंचाई।
युवाओं के लिए:
- 5 लाख रुपये तक ब्याजमुक्त ऋण।
बुजुर्गों के लिए:
- पेंशन और बेटियों के जन्म से पढ़ाई तक मदद।
चुनावी नुक्ताचीनी या व्यवहारिक प्रयास?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि योजनाओं और सीएम वित्तमंत्री की भावनाओं से स्पष्ट है कि सरकार केवल रामराज्य की सैद्धांतिक चर्चा नहीं कर रही है, व्यवहारिक रूप से उसे धरातल पर उतारने की कोशिश भी कर रही है। इसे चुनावी दृष्टि से देखना ठीक नहीं है।
रामराज्य: आदर्शों को जमीन पर उतारना
सरकार ने बजट को रामराज्य की स्थापना से जोड़कर यूपी को एक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित करने का संकल्प दोहराया है। पहली बार किसी सरकार ने इसकी प्रतिबद्धता दिखाई है। वर्तमान बजट का यह महत्वपूर्ण पक्ष है।
हालांकि, इस संकल्पना के आदर्श को जमीनी स्तर पर उतारना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जिस पर सरकार को ध्यान केंद्रित रखना होगा।