फतेहपुर सीकरी: रविवार को सामरा के आरक्षी जितेंद्र सिंह भगोर की दुखद मृत्यु ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। उन्हें श्रद्धांजलि देने और उनके परिवार को सांत्वना देने के लिए सांसद राजकुमार चाहर उनके घर पहुंचे। गौरतलब है कि 14 जनवरी को बुलंदशहर के छतारी क्षेत्र में हुए सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल जितेंद्र सिंह भगोर की रविवार को मृत्यु हो गई। इस दुर्घटना ने न केवल उनके परिवार को गहरे दुख में डुबो दिया, बल्कि क्षेत्रवासियों ने उनके शहादत को सम्मानित करने की मांग उठाई।
सांसद राजकुमार चाहर की पहल
मृत्यु के बाद पारिवारिक सदस्य और गांववाले दिवंगत आरक्षी को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे थे। इस पर सांसद राजकुमार चाहर ने पहल करते हुए कहा कि वह पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर को पत्र लिखकर मंडी मिर्जा खां दाउदपुर मार्ग का नाम आरक्षी जितेंद्र सिंह भगोर के नाम पर रखने की सिफारिश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर दिवंगत सिपाही को शहीद का दर्जा देने की मांग करेंगे। सांसद ने कहा कि यह कदम न केवल जितेंद्र सिंह भगोर की याद को सम्मानित करेगा, बल्कि उनके परिवार और क्षेत्रवासियों को भी गर्व का अनुभव होगा।
सांसद का वादा: मुख्य मार्ग और अंतिम संस्कार स्थल पर सुविधाओं का विकास
इसके साथ ही सांसद राजकुमार चाहर ने यह भी घोषणा की कि मुख्य मार्ग से लेकर दिवंगत आरक्षी के घर तक के मार्ग को सीसी (कंट्रीब्यूटेड कंक्रीट) कराया जाएगा, ताकि लोगों को आवागमन में कोई कठिनाई न हो। इसके अलावा, अंतिम संस्कार स्थल पर 5000 लीटर की पेयजल टंकी और हाई मास्टर लाइट लगवाने की योजना बनाई जाएगी। इन सुविधाओं के माध्यम से सांसद ने यह सुनिश्चित करने की बात की कि गांववासियों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
ग्रामवासियों और नेताओं का समर्थन
इस अवसर पर ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि गुड्डू चाहर, बंटी सिसोदिया प्रधान और अन्य क्षेत्रीय नेता भी उपस्थित रहे। सभी ने सांसद राजकुमार चाहर के इस कदम की सराहना की और कहा कि इस तरह की पहल से न केवल दिवंगत आरक्षी जितेंद्र सिंह भगोर को उचित सम्मान मिलेगा, बल्कि उनके परिवार को भी यह समर्थन महसूस होगा।
समाज में संवेदनशीलता का प्रतीक
सांसद राजकुमार चाहर का यह कदम समाज में संवेदनशीलता और एकजुटता का प्रतीक है। यह न केवल एक शहीद पुलिसकर्मी को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि यह क्षेत्रवासियों को यह संदेश देता है कि उनकी भावनाओं को सरकार और जनप्रतिनिधि गंभीरता से लेते हैं। जितेंद्र सिंह भगोर की मृत्यु ने यह भी साबित कर दिया कि सुरक्षा के काम में लगे लोग कितने जोखिम भरे कार्यों में अपनी जान की बाजी लगाते हैं।
आखिरकार…
इस घोषणा से क्षेत्रवासियों में खुशी का माहौल है। सांसद के इस कदम से यह प्रतीत होता है कि राजनीति में संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी को भी सर्वोच्च स्थान मिलना चाहिए। अब यह देखना बाकी है कि इस अभियान को कितना समर्थन मिलता है और कितनी जल्दी यह सुविधाएं गांववासियों को मिलती हैं।