राम मंदिर के निर्माण से दुखी मुनव्वर राना नही रहे, पीएम मोदी और सीएम योगी पर कर चुके आपत्तिजनक टिप्पढ़ी

Faizan Pathan
Faizan Pathan - Journalist
4 Min Read

लखनऊ। मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार की देर रात करीब साढ़े ग्यारह बजे लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। राना काफी दिनों से लखनऊ के एसजीपीजीआई में भर्ती थे। 26 नवंबर, 1952 को रायबरेली में जन्मे मुनव्वर राना उर्दू साहित्य के बड़े नाम रहे। उन्हें वर्ष 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। बीते दिनों उन्हें लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था। यहां वह आईसीयू वार्ड में भर्ती थे। राना पिछले कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे। वह किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित थे।

देश के विभाजन की उथल-पुथल के दौरान उनके अधिकांश करीबी रिश्तेदार, जिनमें उनकी चाची और दादी शामिल थीं पाकिस्तान में सीमा पार कर गए थे, लेकिन उनके पिता ने भारत के प्रति प्रेम के कारण यहां रहना पसंद किया। बाद में उनका परिवार कोलकाता चला गया, जहां युवा मुनव्वर ने अपनी शिक्षा पूरी की।

See also  आगरा में कल से तीन दिन आंधी-बारिश के आसार, गिरेगा तापमान

मुनव्वर राना हिंदी और उर्दू दोनों में लिखा करते थे। उन्होंने हर मिजाज की गजलें लिखीं, लेकिन मां को लेकर लिखी गई उनकी गजलें सबसे ज्यादा चर्चित रहीं। आलम यह भी रहा कि उनकी पहचान घर-परिवार वाले मिजाज के शायर की भी बनती रही।

उन्होंने लिखा था

 अभी जिंदा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा

 मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है

दहलीज पे रख दी हैं किसी शख्स ने आंखें,

 रोशन कभी इतना तो दीया हो नहीं सकता

 किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई,

 मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में मां आई

 

मुनव्वर राना ने मां को लेकर कई गजलें लिखीं, इनमें से ज्यादातर युवाओं की जुबान पर छाई रहीं। उनके कुछ चर्चित शेर ये भी रहे:

See also  आगरा में 108 और 102 एंबुलेंस स्टाफ की ट्रेनिंग का जायजा लिया

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है

मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है

मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं

 मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं

 

हालांकि पिछले वर्षों में मुनव्वर राना का नाता विवादों से ज्यादा जुड़ता रहा। मार्च 2022 में चुनाव से पहले मुनव्वर राना ने कहा था, “मैं पहले ही कह चुका हूं कि अगर योगी आएगा तो मैं पलायन कर दूंगा। इस बात को स्पष्ट तौर पर नोट कर लिया जाए।” अब बीमारी के बाद जब उन्हें लखनऊ स्थित ‘संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ में भर्ती कराया गया था तो यह बात खूब उठी थी कि जिस यूपी को छोड़कर वे जाने की बात कर रहे थे, उसी यूपी के सरकारी अस्पताल में उनका इलाज कराया गया।

बता दें कि मुनव्वर राना किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। हर हफ्ते 3 बार उनकी डायलिसिस होती थी। अभी हाल में चेकअप के दौरान उनके फेफड़ों में पानी की बहुलता पाई गई थी और उन्हें निमोनिया भी हो गया था। इस कारण उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी।

See also  Ambedkar Nagar: साइबर सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण और आत्मरक्षा पर विशेष कार्यशाला: सीओ सिटी नितेश कुमार के नेतृत्व में चला जागरूकता अभियान

मुनव्वर को उनकी किताब ‘शहदाबा’ के लिए वर्ष 2014 का उर्दू साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था, लेकिन केंद्र सरकार के खिलाफ अवॉर्ड वापसी मुहिम में उन्होंने अपना यह पुरस्कार लौटा दिया था।मुनव्वर राना के निधन पर कई लब्ध-प्रतिष्ठ साहित्यकारों ने शोक जताया। उन्होंने कहा कि 71 वर्ष की उम्र कोई ऐसी नहीं होती कि आदमी चला जाए। मुनव्वर अपनी बेबाकी और मासूम गजलों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।

See also  डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित
Share This Article
Journalist
Follow:
फैजान पठान, संवाददाता दैनिक अग्र भारत समाचार, पिछले पाँच वर्षों से भी अधिक राजनीति और सामाजिक सरोकारों पर गहन रिपोर्टिंग कर रहा हु। मेरी लेखनी समाज की सच्चाइयों को सामने लाने और जनसमस्याओं को आवाज़ देने के लिए जानी जाती है। निष्पक्ष, निर्भीक और जनहित पत्रकारिता के करता आया हु और करता रहूंगा। ( कलम से सच बोलना मेरी पहचान है। )
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement