मात पर मात: नगर पंचायत जैथरा की योजनाएं ‘फ्लॉप शो’?

Pradeep Yadav
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अटल कॉम्प्लेक्स निर्माण – भू स्वामित्व में अटका

गौशाला परियोजना – भूमि विवाद में फंसी

नायरा पेट्रोल पंप के सामने नई कॉलोनी बसाने की योजना – कानूनी दाव पेंच में उलझी

जैथरा (एटा) — नगर पंचायत जैथरा की विकास योजनाएं एक के बाद एक मात खा रही हैं। करोड़ों रुपये की योजनाएं या तो अधूरी हैं या फिर कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसकर धूल फांक रही हैं। जिम्मेदारों द्वारा आनन-फानन लिए गए फैसले न सिर्फ सरकारी धन की हानि का पर्याय बन रहे हैं, अपितु उनकी सत्यनिष्ठा पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। एक के बाद एक मिल रही मात से यह साफ जाहिर हो रहा है कि कोई भी कार्य सही मंशा नहीं किया जा रहा था। कहीं न कहीं इन योजनाओं की आड़ में जमीन के खेल में करोड़ों के वारे-न्यारे की मंशा थी। जिम्मेदारों द्वारा जल्दबाजी में लिए गए फैसले अब गले की फांस बनते जा रहे हैं।

कुछ दिनों पूर्व बिजलीघर के पास दर्जनों दुकानों का निर्माण इतनी तेज गति से कराया गया,जैसे किसी आपदा से निपटने के लिए नगर के लोगों के लिए आश्रय स्थल बनाया जा रहा हो। निर्माण कार्य की गति देखकर सभी हैरान थे। निर्माण के दौरान आनन-फानन में अटल कांप्लेक्स में शिलालेख भी लगा दिया गया। कार्य पूर्ण होने से पहले ही उद्घाटन भी कर दिया गया, लेकिन नगर पंचायत अध्यक्ष के अरमानों पर पानी फिर गया। यह योजना आज तक परवान नहीं चढ़ सकी। इतना जरूर हुआ कि सरकारी धन की बर्बादी हो गई। सरकार के खाजने को लाखों रूपये की क्षति पहुंचा दी गई।निर्माण के समय कुछ व्यापारियों से दुकान आवंटन के नाम पर पैसा भी ले लिया गया। वे आज तक दुकान मिलने की बाट जो रहे हैं। वहीं, इसके बाद वरना तिराहे पर एक विवादित भूमि पर दांव खेला गया। योजनाबद्ध तरीके से भूमि को बुलडोजर चलवाकर कब्जामुक्त कराया गया। इस जमीन के लिए चर्चा फैलाई गई कि यहां पर गौशाला बनवाई जाएगी। चूंकि यह जमीन विवादित थी और सक्षम न्यायालय में वाद भी विचाराधीन था। इसके बाद भी यहां गौशाला बनवाने का राग अलापा गया।यहां भी जिम्मेदारों को मात मिली। चर्चा है कि इस विवादित जमीन पर निर्माण का तानाबाना नगर पंचायत के ही एक जिम्मेदार ने बुना था। हाईकोर्ट के स्थनगनादेश के बाद यह योजना भी ठप गई।

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इतना ही नहीं, नगर पंचायत से इतर नायरा पेट्रोल पंप के सामने नई कॉलोनी बसाने की योजना भी कानूनी विवाद में उलझ गई। बताया जा रहा है कि स्वामित्व विवाद हाई कोर्ट में लंबित है।
इसके बाद पर्दे के पीछे से श्री गांधी सार्वजनिक इंटर कॉलेज के मैदान पर नजरें दौड़ाई गईं। इस मैदान पर भी दुकानों की लंबी कतार खड़ी कर करोड़ों रुपये वारे-न्यारे करने का प्लान बनाया गया। पर्दे के पीछे से सफेदपोश योजना को अमलीजामा पहनाने का रास्ता बताते रहे, लेकिन जब मामला उछला तो ठीकरा कॉलेज प्रबंधक के सिर फोड़ दिया। जबकि चर्चा है कि इस खेल में कई बड़े चेहरे शामिल थे।

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नगर के लोगों का कहना है कि नगर पंचायत के जिम्मेदार, जमीनी हकीकत जाने बगैर योजनाओं का ऐलान कर देते हैं। नतीजतन नगर पंचायत का करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद योजनाओं अंजाम तक नहीं पहुंच रही हैं।

नगर के लोगों में इस बात को लेकर नाराज़गी देखी जा रही है कि नगर विकास की योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पा रहा। सड़कों,नालियों और साफ-सफाई की हालत जस की तस है। लोगों का आरोप है कि सरकारी धन का उपयोग गैर-जिम्मेदाराना तरीके से किया जा रहा है, जबकि आम आदमी आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है।
अब लोग मांग कर रहे हैं कि योजनाओं की स्वीकृति से पहले भू-अधिकार की स्पष्टता हो। साथ ही, विवादित भूमि पर निर्माण कराकर लाखों रूपये की सरकारी खाजने को क्षति पहुंचाने की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो।

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