मथुरा: 10 साल पहले, महाराष्ट्र के एक सर्कस से बचाए गए चार हाथी – कोकोनट, पीनट, वॉलनट और मैकडेमिया – आज अपनी आज़ादी, दोस्ती और बदलाव का एक दशक पूरा कर रहे हैं। वर्षों की क्रूरता और कैद का अंत करते हुए, ये ‘नट हर्ड’ नाम के हाथी 2015 में मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में आने के बाद उम्मीद के प्रतीक बन गए हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस इस खास उपलब्धि का जश्न मना रहा है।
क्रूरता और कैद से मुक्ति का सफर
बचाव के समय ये चारों हाथी बहुत छोटे थे और उन्हें कठोर प्रशिक्षण विधियों, लंबे समय तक जबरन प्रदर्शन, अपर्याप्त भोजन और चिकित्सा देखभाल की कमी जैसी भयावह परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। केंद्र में उनका आगमन न केवल उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, बल्कि देश में प्रदर्शन करने वाले हाथियों की दुर्दशा के बारे में बढ़ती जागरूकता के लिए भी यह एक बड़ा कदम था।
‘नट हर्ड’ की नई जिंदगी: मस्ती, देखभाल और बंधन
प्यार से नट के नाम पर रखे गए प्रत्येक हाथी अपनी अलग-अलग विशेषताएं और आकर्षण लाए। समूह में सबसे शरारती कोकोनट, जल्दी ही एक उत्साहित व्यक्तित्व के रूप में उभरी, जबकि मैकडेमिया और वॉलनट ने मजबूत बंधन और सौम्य व्यवहार प्रदर्शित किया। आज ये हाथी अपना पूरा दिन मड बाथ, पूल में डुबकी लगाने और अपने समृद्ध भोजन को खाने में बिताते हैं।
वर्तमान में, ‘नट हर्ड’ विशेषज्ञ पशु चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत फल-फूल रहे हैं। उनके स्वास्थ्य की नियमित रूप से चिकित्सा जांच, व्यक्तिगत आहार और संवर्धन-आधारित गतिविधियों के माध्यम से निगरानी की जाती है, जो उनके शारीरिक और भावनात्मक कल्याण का समर्थन करती हैं।
‘फ्रूट फीस्ट’ से मनाया जश्न
इस खास उपलब्धि को मनाने के लिए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने ‘नट हर्ड’ के लिए एक शानदार फ्रूट फीस्ट का आयोजन किया। तरबूज, कद्दू, पपीता, केला और ककड़ी जैसे मौसमी, रसीले फलों की एक रंग-बिरंगी फीस्ट हाथियों के खाने के लिए सजाई गई। मैकडेमिया ने ताजे फलों का आनंद लिया, जबकि वॉली और कोको के लिए दलिया, चावल और फलों से बना विशेष केक तैयार किया गया, जिसे इन हाथियों ने चाव से खाया।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “नट हर्ड की कहानी हमारे इतिहास की सबसे दिल को छू लेने वाली कहानियों में से एक है। पिछले एक दशक में इन युवा हाथियों को प्रदर्शन से लेकर आत्मविश्वास से भरे हाथियों में बदलते देखना वाकई उल्लेखनीय है।”
डॉ. इलियाराजा, उप निदेशक- पशु चिकित्सा सेवाएं, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा, “पिछले एक दशक में इनकी देखभाल करना एक चुनौती और खुशी दोनों रहा है। प्रत्येक हाथी की अलग-अलग ज़रूरतें होती हैं। उनके स्वास्थ्य प्रोटोकॉल प्राकृतिक व्यवहार को प्रोत्साहित करते हुए उनके बढ़ते शरीर के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।”
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “दस साल पहले, नट हर्ड को उपचार की सख्त जरूरत थी। आज, वे इस बात का जीता जागता सबूत हैं कि जगह, दोस्ती और सम्मान के साथ, सबसे गहरे घाव भी ठीक हो सकते हैं।