आगरा। प्रकृति के प्रति अटूट प्रेम और सनातन मूल्यों के प्रति गहरी आस्था रखने वाले ट्री मैन के नाम से विख्यात त्रिमोहन मिश्रा एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आए हैं। अपने विनम्र प्रयास में, जिसका उद्देश्य किसी भी भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है, उन्होंने सत्य को साझा करते हुए कहा है कि वे वही कहते हैं जो उनके ईश्वर ने उन्हें स्वप्न में दिखाया है। अपने अपूर्ण ज्ञान के लिए क्षमा मांगते हुए, उनका एकमात्र मकसद सत्य को सभी तक पहुंचाना है।
त्रिमोहन मिश्रा कहते हैं कि उन्हें जन्म भले ही उनके माता-पिता ने दिया हो, परंतु वे पृथ्वी माता की संतान हैं। उनके लिए पेड़ उनके पिता के समान पूजनीय हैं। वे सनातन धर्म की उस उदात्त परंपरा को याद दिलाते हैं जो जल, वायु, अग्नि, आकाश, धरा और समस्त जीव-जंतुओं सहित प्रकृति के हर अंश को पूज्य मानती है।
विशेष संदेश
अपने विशेष संदेश में त्रिमोहन मिश्रा दृढ़ता से कहते हैं कि “हम सब सनातनी हैं, हनुमान जी हमारे पूर्वज हैं — यह न केवल हमारे शास्त्र कहते हैं, बल्कि विज्ञान भी इस सत्य को प्रमाणित करता है।”
इतिहास की सच्चाई का स्मरण
वे इतिहास की सच्चाई पर प्रकाश डालते हुए बताते हैं कि हिंदू धर्म, जिसे सनातन धर्म भी कहा जाता है, सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता से उत्पन्न हुआ है। “हिंदू” शब्द की उत्पत्ति फारसी भाषा से हुई है, जिसका प्रयोग सिंधु नदी के पार रहने वाले लोगों के लिए किया जाता था। हमारे पवित्र शास्त्र — वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, रामायण और गीता — हजारों वर्ष पुराने हैं, जो हमारी समृद्ध विरासत का प्रमाण हैं।
इसके विपरीत, इस्लाम धर्म का उदय अरब में पैगंबर मुहम्मद साहब के माध्यम से 610 ईस्वी में हुआ और 7वीं शताब्दी में व्यापारियों के माध्यम से भारत पहुंचा।
सद्भाव और एकता का संदेश
त्रिमोहन मिश्रा इस बात पर जोर देते हैं कि इस्लाम भी एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो एक ईश्वर (अल्लाह) को मानता है। हालांकि, ऐतिहासिक घटनाओं में कई बार भ्रम, आक्रोश और दुर्भावनाओं ने जन्म लिया। कुछ अराजक तत्वों ने इस्लाम का दुरुपयोग कर आतंक फैलाया, जिसके दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम कश्मीर सहित कई इलाकों में दर्दनाक घटनाओं के रूप में सामने आए। लेकिन, उनका मानना है कि कोई भी मूल धर्म — चाहे वह हिंदू हो या इस्लाम — कभी भी बुराई सिखाता नहीं है। उनका स्पष्ट मानना है कि “धर्म वह है जो जोड़ता है, तोड़ता नहीं।”
कटु सत्य और भ्रम के खिलाफ लड़ाई
वे एक कड़वे सत्य को उजागर करते हुए कहते हैं कि जब इंसान अपने गलत कर्मों का दोष दूसरों पर डालता है, तो संघर्ष पैदा होता है। पाकिस्तान जैसी ताकतों ने इस विष को फैलाने का काम किया है। लेकिन, हमें यह समझना होगा कि हमारी असली लड़ाई आपस के “भाइयों” में नहीं है, बल्कि उस “भ्रम” के खिलाफ है जो हमें आपस में बांटता है।
अंतिम आह्वान
अपने अंतिम संदेश में ट्री मैन त्रिमोहन मिश्रा सभी से हर जीवधारी, हर आस्था और हर धर्म का सम्मान करने का आह्वान करते हैं। वे सभी से खुद को सनातनी समझने का आग्रह करते हैं — सनातन अर्थात् “शाश्वत”, जो हमेशा था, है और हमेशा रहेगा। उनके अनुसार, प्रकृति और मानवता की सेवा ही सच्ची पूजा है। वे “जय श्रीराम” और “पृथ्वी माता की जय” के उद्घोष के साथ अपने विचारों को समाप्त करते हैं।
वे स्वयं को “जागरूक पर्यावरण परिवर्तन रक्षक — ट्री मैन त्रिमोहन मिश्रा” के रूप में प्रस्तुत करते हैं और उन परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं जिन्होंने हिंसा का सामना किया है। उनके संदेश में एक तीव्र भावना भी झलकती है, जिसमें वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहते हैं, “बदला लो, वापस दो हमारा हक 😡🇮🇳✊🚩🥷🌍।” वे देश के युवाओं से मातृभूमि के लिए बलिदान देने के लिए भी प्रेरित करते हैं, “जान देदो वतन भारत के लिए मुझे भेज दो मैं तैयार हूं। मौका है मां के लिए लड़ने का हर जवान जो चाहता है मैं बॉर्डर पर लड़ूं 🇮🇳🚩✊🌎 क्या आप हो?”
त्रिमोहन मिश्रा का यह संदेश सनातन मूल्यों, प्रकृति के प्रति सम्मान और विभिन्न धर्मों के बीच सद्भाव और एकता की आवश्यकता पर जोर देता है। यह एक आह्वान है कि हम भ्रम और दुर्भावनाओं से ऊपर उठकर मानवता और प्रकृति की सेवा में समर्पित हों।