मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और जामा मस्जिद के बीच चल रहे विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। लघुवाद न्यायाधीश की अदालत में लंबित मामले में, प्रतिवादी पक्ष की ओर से दी गई क्षेत्राधिकार संबंधी अर्जी खारिज हो गई है। अब मामले में अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी।
प्रसिद्ध कथा वाचक ठाकुर देवकीनंदन के निर्देश पर उनके समर्थकों द्वारा श्री कृष्ण के विग्रहों के आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबें होने के बाबत प्रस्तुत मामले में यह सुनवाई हुई।
वादी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया कि विपक्षी पक्ष की ओर से दी गई क्षेत्राधिकार संबंधी अर्जी खारिज हो गई है। अब मामले में अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी। इस दिन कोर्ट के समक्ष पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाए जाने एवं सीढ़ियों के नीचे श्री विग्रह होने का सर्वे कराने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई होगी।
विपक्षी पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रहीसुद्दीन ने बताया कि आगामी 2 फरवरी को 1/10 पक्षकार बनने की अर्जी पर सुनवाई होगी।
इस मामले में, वादी पक्ष का दावा है कि मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर स्थित जामा मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल में श्री कृष्ण मंदिर को तोड़कर किया गया था। वादी पक्ष ने मांग की है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे श्री कृष्ण के विग्रहों को निकाला जाए और उन्हें यथास्थान स्थापित किया जाए।
विपक्षी पक्ष का कहना है कि जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक मस्जिद है और इसका निर्माण औरंगजेब ने नहीं किया था। विपक्षी पक्ष ने यह भी मांग की है कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए।
यह मामला देशभर में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले की सुनवाई का परिणाम यह तय करेगा कि मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर या मस्जिद का निर्माण होगा।