आगरा, उत्तर प्रदेश: आगरा जैसे संवेदनशील पर्यावरणीय क्षेत्र में हरे पेड़ों की बेहिसाब कटाई अब सीधे कानून के शिकंजे में आ गई है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आगरा जिले में हाल ही में चार अलग-अलग स्थानों पर हुई अवैध पेड़ कटाई को अत्यंत गंभीरता से लिया है। एनजीटी ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव सहित नौ विभागीय अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र सहित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
ताज ट्रिपेजियम जोन में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना
यह पूरा मामला ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) से जुड़ा है, जो सर्वोच्च न्यायालय की विशेष निगरानी में आता है। टीटीजेड क्षेत्र में बिना अनुमति के पेड़ काटना तो दूर, उनकी छंटाई तक निषिद्ध है। इसके बावजूद, आगरा जिले में कई स्थानों पर खुलेआम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए बड़ी संख्या में हरे पेड़ काट दिए गए हैं, जिसने पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों में भारी रोष पैदा किया है।
याचिकाकर्ता ने पेश किए पुख्ता सबूत
इस गंभीर मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण में ग्राम तेहरा, तहसील खेरागढ़ निवासी जगन प्रसाद तेहरिया द्वारा एक याचिका दायर की गई है। याचिका में दैनिक जागरण और हिंदुस्तान अखबार में प्रकाशित हरे पेड़ काटे जाने संबंधी रिपोर्टों को मुख्य आधार बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि टीटीजेड जैसे अति-संवेदनशील क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों को दरकिनार कर चार प्रमुख जगहों पर बड़े पैमाने पर पेड़ों का सफाया किया गया है।
चार स्थानों पर हुई गंभीर अनियमितताएं
याचिका में जिन चार स्थानों पर अवैध पेड़ कटाई का उल्लेख किया गया है, वे इस प्रकार हैं:
- फतेहाबाद (24 मार्च 2025): यहां सरकारी विकास कार्य का हवाला देकर सड़क किनारे खड़े डेढ़ दर्जन हरे पेड़ काट दिए गए। आरोप है कि यह कार्य एक ठेकेदार द्वारा किया गया, जबकि इस क्षेत्र में पेड़ों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।
- शाहदरा रेल लाइन क्षेत्र, यमुना पार (2 अप्रैल 2025): इस इलाके में वन विभाग और पुलिस विभाग की कथित मिलीभगत से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस अवैध कार्य के पीछे स्थानीय प्रशासन और तंत्र की शह थी।
- किरावली-अछनेरा रोड, किरावली तहसील (25 अप्रैल 2025): यहां एक नई अवैध कॉलोनी विकसित करने के लिए बड़े-बड़े हरे पेड़ों को काट दिया गया। याचिका में कहा गया है कि इस कार्य में भी स्थानीय पुलिस और वन विभाग की मूक सहमति या सहभागिता रही।
- जगदीशपुरा, कृष्णापुरी, सदर तहसील: एक अवैध कॉलोनी के विकास में आड़े आ रहे पेड़ों को ‘विकास का दुश्मन’ समझकर उखाड़ फेंका गया। यहां पेड़ बिना किसी वैध अनुमति के काटे गए।
एनजीटी ने इन 9 अधिकारियों से मांगा जवाब
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और पर्यावरण विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है। एनजीटी ने निम्नलिखित नौ विभागीय अधिकारियों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र सहित जवाब देने का निर्देश दिया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन कैसे और क्यों हुआ:
- मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार
- उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन
- केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव
- जिलाधिकारी, आगरा
- जिला वन अधिकारी, आगरा
- आगरा के पुलिस कमिश्नर
- ताज ट्रिपेजियम जोन अथॉरिटी के चेयरमैन
- जिला पंचायत, आगरा
- मंडल आयुक्त, आगरा
यह मामला न केवल हरे पेड़ों की अवैध कटाई का है, बल्कि यह सिस्टम की चुप्पी, कथित मिलीभगत और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवमानना का भी एक गंभीर उदाहरण है। जब टीटीजेड जैसे अति-संवेदनशील क्षेत्र में भी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा सकती हैं, तो बाकी स्थानों पर पर्यावरणीय सुरक्षा की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।