बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर पदाधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें जिम्मेदारी देते हुए पूरी क्षमता के साथ चुनाव की तैयारियो में जुटने की अपील की। मायावती ने कहा है कि उनके जन्मदिन पर कीमती उपहार देने की जगह सीधे उनका आर्थिक सहयोग करें जिससे कि चुनावी खर्चों को पूरा किया जा सके।
मायावती ने कहा कि पदाधिकारी बड़े व खर्चीले आयोजन करने की जगह छोटी-छोटी कैडर बैठकों का आयोजन करें। उन्होंने कहा कि बसपा कार्यकर्ताओं को धन्नासेठों की समर्थक पार्टियों की तरह शाहखर्ची नहीं करनी है क्योंकि यह बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता के साथ मजाक करने जैसा है।
मायावती का जन्मदिन 15 जनवरी को होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जीजान से चुनाव में भाजपा की मदद करता है लेकिन भाजपा सरकार की गलत व जनविरोधी नीतियों का कभी भी खुलकर विरोध नहीं करता। अब आरएसएस देश में फैली प्रचंड महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, हिंसा, तनाव और तमाम अव्यवस्थाओं से देश का ध्यान बंटाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण नीति और धर्मांतरण का राग अलाप रहा है।
निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में बसपा इसमें अपने भविष्य की संभावनाओं को देख रही है। मायावती कह भी चुकी हैं कि निकाय चुनाव का परिणाम भविष्य के द्वार खोल सकता है। ऐेसे में इस बैठक का उद्देश्य इन्हीं संभावनाओं के लिए है।
बसपा का ध्यान इस बार मुस्लिम मतदाताओं पर है। पार्टी दलित-मुस्लिम समीकरण साधने के लिए इस निकाय चुनाव में पूरी ताकत लगाएगी। चूंकि विधानसभा चुनाव में तमाम कोशिशों के बावजूद सपा की नैया पार नहीं हो सकी। जबकि मुस्लिमों ने पूरी ताकत के साथ सपा को सपोर्ट किया। ऐसे में बसपा मुस्लिमों को विकल्प देना चाह रही है। यह जताना चाह रही है कि दलितों का बड़ा वोट बैंक उसके पास है। अगर मुस्लिम भी साथ आ गए तो भाजपा को रोका जा सकता है। निकाय चुनाव का परिणाम यह तय कर देगा कि बसपा का यह फॉर्मूला कितना कारगर होगा।