लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के खिलाफ बिजली अभियंताओं ने निर्णायक संघर्ष का ऐलान कर दिया है। रविवार को हुई उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में निजीकरण में प्रबंधन के विकल्पों को पूरी तरह खारिज कर दिया गया। अभियंताओं ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ मिलकर 29 मई से घोषित कार्य बहिष्कार को सफल बनाने का निर्णय लिया है, वहीं 26 मई (आज) से कार्यालय अवधि के बाद प्रबंधन से पूर्ण असहयोग करने का फैसला किया है। हालांकि, संगठनों ने स्पष्ट किया है कि इस दौरान आम उपभोक्ताओं की बिजली आपूर्ति प्रभावित नहीं होने दी जाएगी।
पूर्वांचल व दक्षिणांचल निगमों का निजीकरण: अभियंताओं का विरोध तेज
पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय के खिलाफ अभियंताओं का विरोध अब और तेज हो गया है। रविवार को हुई अभियंताओं के दो प्रमुख संगठनों की बैठक में प्रबंधन द्वारा दिए गए सभी विकल्पों को सिरे से नकार दिया गया।
महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने बताया कि 26 मई से अभियंता कार्यालय समय के बाद प्रबंधन से पूरी तरह असहयोग करेंगे। इस दौरान अभियंता प्रबंधन की किसी भी बैठक या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल नहीं होंगे। लेकिन, उन्होंने उपभोक्ताओं को आश्वस्त किया कि उनकी बिजली सेवा में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी।
“आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं”
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन की हाईपावर कमेटी की बैठक में यह साफ कर दिया गया कि निजीकरण रोकने के लिए आंदोलन के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है। संगठन के महासचिव बलबीर यादव ने बताया कि इस बैठक में भी संघर्ष समिति के कार्य बहिष्कार को सफल बनाने का निर्णय लिया गया है।
प्रबंधन पर हड़ताल थोपने का आरोप
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों की रविवार को हुई बैठक में प्रबंधन पर “हड़ताल का माहौल बनाने” का आरोप लगाया गया। पदाधिकारियों ने कहा कि प्रबंधन इस भीषण गर्मी में हड़ताल थोपना चाहता है, जबकि संघर्ष समिति ने अभी तक हड़ताल की कोई नोटिस नहीं दी है। उन्होंने दोहराया कि निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन से उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।
सभी जिलों में बिजलीकर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस बात पर नजर रखें कि प्रबंधन की ओर से बिजली व्यवस्था में जानबूझकर कोई गड़बड़ न की जाए, ताकि आंदोलन को बदनाम न किया जा सके।