एटा, उत्तर प्रदेश। भारतीय जनता पार्टी के कथित पदाधिकारी और धार्मिक कार्यों में सक्रिय नीरज दीक्षित ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने प्राचीन शिव मंदिर ज़िरौलिया तक पक्की सड़क न बनने से क्षुब्ध होकर भू-समाधि लेने की चेतावनी दी है। यह वही मंदिर है जहां क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु सावन मास सहित अन्य अवसरों पर दर्शन और पूजन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन खस्ताहाल कच्चे रास्ते के कारण हर बार उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
वर्षों से लंबित है सड़क निर्माण
नीरज दीक्षित ने बताया कि वह 2017 से लगातार शासन और प्रशासन से मंदिर तक पक्की सड़क के निर्माण की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कई बार पत्राचार किया, अधिकारियों से मिले, जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं।
बीते वर्ष उन्होंने इसी मांग को लेकर आमरण अनशन किया था, जिसे स्थानीय विधायक सत्यपाल सिंह राठौर और फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद समाप्त किया गया। लेकिन आज तक एक ईंट तक नहीं रखी गई।
सावन आने को है, श्रद्धालु परेशान
प्राचीन शिव मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है। सावन मास में यहाँ श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन मंदिर तक जाने वाला रास्ता पूरी तरह से कच्चा और जर्जर है। बरसात में यह कीचड़ और दलदल में बदल जाता है, जिससे न केवल श्रद्धालुओं को परेशानी होती है बल्कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
नीरज दीक्षित ने अपने बयान में कहा:
“मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं, लेकिन जब अपने ही सरकार में हमारी बात नहीं सुनी जा रही, तो सवाल उठता है – क्या पार्टी में कार्यकर्ताओं की कोई अहमियत है? मेरे जैसे लोग अगर मंदिर के लिए सड़क नहीं बनवा पा रहे, तो फिर आम जनता की कौन सुनेगा?”
भाजपा में भीतर ही भीतर असंतोष?
यह मामला केवल एक सड़क निर्माण का नहीं है, यह सरकार और संगठन के बीच संपर्क और संवाद की विफलता को भी उजागर करता है। एक समर्पित कार्यकर्ता अगर भू-समाधि जैसे कदम की चेतावनी देने पर विवश हो जाए, तो यह शासन-प्रशासन और संगठन दोनों के लिए गंभीर आत्ममंथन का विषय है।
क्या अब सरकार जागेगी?
सावन का पवित्र महीना निकट है। हजारों श्रद्धालुओं की आवाजाही वाले मंदिर तक समुचित मार्ग नहीं होना जनसुविधा, सुरक्षा और धार्मिक भावना—तीनों के साथ खिलवाड़ है। देखना यह होगा कि नीरज दीक्षित की चेतावनी और जनता की पीड़ा सरकार और प्रशासन को नींद से जगाने में सफल होती है या नहीं।