आगरा: एक तरफ जहां पूरा देश सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने और प्लास्टिक कचरे के सही निस्तारण को लेकर चिंतित है, वहीं आगरा नगर निगम परिसर में ही एक बड़ा खेल चलने का आरोप लग रहा है। बताया जा रहा है कि नगर निगम में पकड़ी गई प्लास्टिक को क्रैश करने के नाम पर बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है, और इसका आरोप सीधा नगर पशु कल्याण अधिकारी और उनके ड्राइवर पर लग रहा है। करीब एक माह से नगर निगम परिसर में पड़ी प्लास्टिक को क्रैश करने का कार्य शुरू हुआ है, लेकिन इसमें पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
ड्राइवर के ‘संरक्षण’ में प्लास्टिक क्रैशिंग का खेल
सूत्रों के अनुसार, नगर निगम परिसर में पकड़ी गई प्लास्टिक को क्रैश करने का कार्य नगर पशु कल्याण अधिकारी के ड्राइवर लवकुश के संरक्षण में चल रहा है। आरोप है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से मनमानी तरीके से हो रही है। जानकारी मिली है कि पकड़ी गई आधी प्लास्टिक को ही क्रैश किया जा रहा है, जबकि बाकी आधी प्लास्टिक को ‘फ्रेस’ (सही सलामत) छोड़ दिया जा रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह साबुत प्लास्टिक फिर से बाजार में बेची जाएगी?
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पशु कल्याण अधिकारी पर ‘सेटिंग’ और ‘पावरफुल’ होने का आरोप
बताया जाता है कि नगर पशु कल्याण अधिकारी प्लास्टिक पकड़ने के बाद ‘सेटिंग के खेल’ में लग जाते हैं। यह भी आरोप है कि उनकी यह ‘गड़बड़ी’ और ‘घोटाला’ उच्च अधिकारियों के संज्ञान में नहीं रहता है। नगर निगम गलियारों में चर्चा है कि पूर्व में अपर नगर आयुक्त सुरेंद्र यादव के रहते हुए पशु कल्याण अधिकारी की निगम में ‘तूती बोलती’ थी। अपर नगर आयुक्त सुरेंद्र यादव के तबादले के बाद भी, पशु कल्याण अधिकारी पर प्लास्टिक के खेल में लिप्त होने का आरोप लग रहा है। कहा जाता है कि उन्होंने अपने ड्राइवर लवकुश को ही ‘सेटिंग की जिम्मेदारी’ दे रखी है और शहर भर में जुगाड़ के ठिकानों पर ड्राइवर लवकुश की अच्छी पकड़ है।
स्वान नसबंदी की जांच अधूरी, शहर में प्लास्टिक का धड़ल्ले से प्रयोग
यह स्थिति तब है जब शहर भर में प्लास्टिक का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है और इसे रोकने की जिम्मेदारी भी इन्हीं अधिकारियों की है। इतना ही नहीं, पशु कल्याण अधिकारी से जुड़े एक अन्य मामले में भी जांच अधूरी बताई जा रही है। शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी (स्वान नसबंदी) को लेकर चल रही जांच भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, जिससे अधिकारी की कार्यप्रणाली पर और भी सवाल उठते हैं।
नगर निगम में प्लास्टिक निस्तारण जैसे महत्वपूर्ण कार्य में कथित धांधली गंभीर चिंता का विषय है। इससे न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग होता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी पलीता लगता है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।
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