अनियमितताओं के वीडियो वायरल होने के बावजूद निरीक्षण में शामिल अधिकारियों को नहीं दिखा कुछ भी गलत
आगरा (कागारौल): सच को झूठ और झूठ को सच ठहराने में माहिर सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रदेश सरकार की नीतियों को जमकर पलीता लगाया जा रहा है। जनपद की गौशालाओं में अनियमितताएं चरम पर हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की नजर में सब कुछ ठीक है। समस्याओं के उजागर होने के बावजूद उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।आपको बता दें कि बीते दिनों जनपद के खेरागढ़ ब्लॉक स्थित गांव चीत की गौशाला में गौवंशों की हो रही बेकदरी का संज्ञान लेते हुए किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने क्षेत्रीय लोगों के साथ गौशाला का निरीक्षण किया था। मौके पर स्थिति भयावह थी। करीब आधा दर्जन मृत गौवंश पड़े हुए थे, जिनका उचित दाह संस्कार तक नहीं किया गया था। गौशाला स्टाफ से बातचीत के दौरान मालूम हुआ कि स्टाफ शराब के नशे में था और कुछ भी बताने में असमर्थ था। इस प्रकरण की सूचना किसान नेता द्वारा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को दी गई, जिनके निर्देश पर विभागीय टीम को निरीक्षण के लिए भेजा गया।
निरीक्षण टीम द्वारा अनियमितताओं को कर दिया नजरअंदाज
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर गौशाला का निरीक्षण करने पहुंची टीम में बीडीओ खेरागढ़ सुष्मिता यादव, उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण प्रभाकर और सहायक विकास अधिकारी पंचायत आमीन खान शामिल थे। निरीक्षण के बाद सौंपी गई जांच आख्या बेहद चौंकाने वाली थी। आख्या में सभी गौवंश स्वस्थ पाए गए, पर्याप्त मात्रा में पशु चारा और अन्य सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त बताई गईं।इस जांच रिपोर्ट पर किसान नेता ने गंभीर सवाल उठाते हुए इसे भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा करार दिया है। किसान नेता के अनुसार, क्षेत्रीय ग्रामीणों की सूचना पर जब गौशाला का निरीक्षण किया गया था, तब वहां आधा दर्जन मृत गौवंश पड़े हुए थे। पूरा परिसर गंदगी और भीषण दुर्गंध से भरा था। गौवंश भूख से तड़प रहे थे, लेकिन निरीक्षण अधिकारियों को ये अनियमितताएं नजर नहीं आईं। जांच आख्या में मृत गौवंश का कहीं भी जिक्र नहीं हुआ।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की भूमिका पर उठे सवाल
इस मामले में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा गौशाला के संचालक ग्राम प्रधान एवं ग्राम पंचायत सचिव को जारी किए गए पत्र में केवल चेतावनी का उल्लेख है। कहीं भी ठोस कार्रवाई का जिक्र नहीं है। समाचार पत्रों और वायरल वीडियो में गौवंशों की मौत और अन्य अव्यवस्थाओं पर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई। केवल भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति होने पर दंडात्मक कार्रवाई की बात कहकर इतिश्री कर ली गई।अपराध करने पर भी नहीं होगी कार्रवाई?
क्षेत्रीय लोगों ने पशुपालन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार से आर्थिक मदद मिलने के बावजूद गांव चीत की गौशाला में अनियमितताएं चरम पर हैं। इससे पहले भी इस गौशाला की अनियमितताएं सामने आई हैं, लेकिन हर बार संबंधित लोगों को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग हो रहा है और विभागीय अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है।