ताज महोत्सव 2025: आगरा। आगरा का प्रतिष्ठित ताज महोत्सव, जो अपनी भव्यता और कला-संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, इस बार पहले दो दिनों में ही फीका साबित हुआ है। महोत्सव के पहले दो दिन की कम भीड़-भाड़ और सुस्त कार्यक्रमों ने इस बार के आयोजन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब तीसरे दिन भी यह उत्साह का कोई खास रूप नहीं दिखा सका है, जो पहले के वर्षों में देखने को मिलता था।
ताज महोत्सव में बदलते हुए दृश्य
ताज महोत्सव के उद्घाटन के दौरान रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, लेकिन इस बार ताज महोत्सव के प्रति उत्साह में कमी नजर आ रही है। पहले के सालों में ताज महोत्सव का आयोजन होते ही शहरभर में चर्चा का माहौल बन जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया। आयोजकों द्वारा प्रचार प्रसार और उत्साह बढ़ाने के लिए पहले जैसा कोई प्रयास नहीं किया गया, जिससे ताज महोत्सव की रंगीन छवि कम हो गई है।
वर्षों से जुड़े व्यक्तियों की अनुपस्थिति
ताज महोत्सव की सफलता में उन व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो सालों से इस आयोजन से जुड़े हुए थे और जिन्होंने इसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में अहम योगदान दिया। लेकिन इस साल 1992 में शुरू हुए इस महोत्सव में बदलाव की आहट सुनाई दी है। आयोजन समिति से जुड़े पुराने चेहरे साइड लाइन किए जा चुके हैं, और अब आयोजन की जिम्मेदारी उन नए लोगों के हाथों में है, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में ताज महोत्सव से जुड़कर उसकी धारा को नई दिशा देने का दावा किया था। हालांकि, इन नए चेहरों से अभी तक ताज महोत्सव के स्तर को और ऊंचा ले जाने की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई हैं।
आलोचना और अव्यवस्था का सामना
इन बदलावों के कारण यह स्थिति पैदा हुई है कि ताज महोत्सव में इस बार कलाकारों को उनके कद्रदान ही नहीं मिल रहे। पहले दिन के दौरान सूरसदन में एक भी दर्शक मौजूद नहीं था, और कई कलाकारों की प्रस्तुतियाँ बिना दर्शकों के रह गईं। कथक नृत्य जैसे प्रतिष्ठित कार्यक्रम में केवल पांच दर्शक मौजूद थे। इसके बाद सुप्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी का कार्यक्रम भी शिल्पग्राम में दर्शकों की कमी से प्रभावित रहा। यहां तक कि मंच के सामने के सोफे तक खाली पड़े थे, जिससे कलाकारों को भी मंच पर अपने प्रदर्शन में उत्साह की कमी महसूस हुई।
अधिकारी और नए चेहरों पर सवाल
ताज महोत्सव की सफलता का श्रेय हमेशा उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने इससे पहले आयोजन के स्तर को बनाए रखा। अब सवाल यह उठता है कि जिन नए चेहरों ने महोत्सव के आयोजन की जिम्मेदारी ली है, क्या वे इसका सही तरीके से निर्वाह कर पा रहे हैं? एक गैर सरकारी व्यक्ति के द्वारा एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उसने एक कलाकार से 60 हजार रुपये लेकर ताज महोत्सव में उसकी प्रस्तुति करवाई थी। इस तरह के आरोप महोत्सव के आयोजन में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं।
हस्तशिल्प और कला को बढ़ावा देने का मंच
ताज महोत्सव का प्रमुख उद्देश्य शिल्पकारों और कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करना है, और इसे हमेशा इस उद्देश्य के तहत सफल माना गया है। इस बार भी आयोजन में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है, लेकिन इसके कद्रदानों की कमी और अव्यवस्थाओं के कारण यह महोत्सव अपनी असल पहचान से बहुत दूर जा रहा है।