घिरोर । जैन समाज में पर्वो के राजा कहे जाने वाले दस लक्षण पर्व शुरू हो गए है। दस दिनों तक चलने वाला पर्यूषण पर्व सभी जैनियों के जीवन के लिए महत्वपूर्ण माने जाते है। दशलक्षण पर्व के इन दिनों में सभी आत्म कल्याण के मार्ग पर प्रशस्त हों यही प्रयास करते है। पर्यूषण पर्व को जैन धर्म में सभी पर्वो का राजा माना जाता है।
इसलिए यह पर्व जैन धर्मावलंबियों के लिए बहुत महत्व रखता है। क्योंकि यह पर्व महावीर भगवान के सिद्धांत जियो और जीने दो का संदेश देता है। दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन सभी जैन मंदिरों में उत्तम आर्जव धर्म की पूजा की गई। सुबह भगवान का अभिषेक कर विधि विधान व श्रद्धा एवं भक्ति भाव से पूजा अर्चना की गई। इस दिन जैन श्रद्धालु विशेष पूजा अर्चना करते हुए उपवास रखते है।
उत्तम आर्जव धर्म हमें सिखाता है की मोह माया बुरे काम सब छोड़-छाड़ कर सरल स्वभाव के साथ परम आनंद मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं जीवन का असल मजा केवल वही उठा पाते हैं जो भीतर और बाहर एक समान होते है। भीतर बाहर एक होने की इस परिणति का नाम उत्तम आर्जव धर्म है। शाम के समय मंदिर में भगवान की आरती,भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।