झांसी, उत्तर प्रदेश, सुल्तान आब्दी: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अग्निवीरों को पुलिस भर्ती परीक्षा में दिए गए 20% आरक्षण का झांसी में कड़ा विरोध शुरू हो गया है। भारतीय प्रजाशक्ति पार्टी ने इस फैसले को ‘गैर-तकनीकी छात्रों के साथ अन्याय’ और ‘ओबीसी, एससी, एसटी को मिलने वाले आरक्षण की डकैती’ करार दिया है। पार्टी ने कहा है कि यह कदम प्रदेश हित में नहीं है और छात्रों व जातियों के बीच भेदभाव को जन्म देगा।
गैर-तकनीकी छात्रों और आरक्षित वर्ग पर पड़ेगा बुरा असर
भारतीय प्रजाशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित पंकज रावत ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि पुलिस भर्ती परीक्षा उन सभी छात्रों को आकर्षित करती है जो सरकारी नौकरी में तो जाना चाहते हैं, लेकिन वे गैर-तकनीकी पृष्ठभूमि से हैं। ऐसे में, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अग्निवीरों को पुलिस भर्ती परीक्षा में दिया जाने वाला यह 20% आरक्षण सभी छात्रों के साथ अन्याय है।
रावत ने विशेष रूप से चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एससी, एसटी) के आरक्षण की डकैती है। उन्होंने बताया कि ओबीसी को 27%, एससी और एसटी को 22.5% आरक्षण नियमानुसार दिया जाता है, जो वंचित वर्ग को उनके अधिकार दिलाता है। लेकिन, 20% का यह नया आरक्षण आरक्षित वर्ग की सीटों को कम कर देगा, साथ ही सामान्य वर्ग को भी कम अवसर प्राप्त होंगे।
‘प्रदेश हित में नहीं, बढ़ाएगा वर्ग संघर्ष’
पंडित पंकज रावत ने सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश और प्रदेश में पहले से ही आरक्षण की व्यवस्था है। अब नए तरीके से आरक्षण देना प्रदेश के हित में बिल्कुल भी ठीक नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम छात्रों में भेदभाव का कारण तो बनेगा ही, साथ ही जातियों में वर्ग संघर्ष को भी जन्म देगा।
रावत ने अपनी मांग स्पष्ट करते हुए कहा कि अग्निवीरों को सेना संबंधी पदों में ही आरक्षण दिया जाना चाहिए, न कि प्रदेश की अन्य परीक्षाओं में। उन्होंने तर्क दिया कि अग्निवीरों को सेना में सेवा देने के बाद कुछ विशेष लाभ मिलने चाहिए, लेकिन उन्हें सिविल नौकरियों में आरक्षण देना अन्य अभ्यर्थियों के अवसरों को प्रभावित करेगा।
विरोध प्रदर्शन में कई पदाधिकारी रहे मौजूद
इस विरोध प्रदर्शन के अवसर पर भारतीय प्रजाशक्ति पार्टी के कई पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे, जिनमें आनंद मुदगल, राकेश सुरोठिया, राजेश तिवारी, प्रभात रावत, धरन शर्मा, चंद्रशेखर तिवारी, एन.पी. सिंह, आशुतोष द्विवेदी, अमित यादव, जय किशन गोस्वामी, राधरमन उपाध्याय, श्रुति चड्ढा, रोहित शर्मा और राजेंद्र मिश्रा आदि शामिल थे। पार्टी ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है, ताकि छात्रों के भविष्य और सामाजिक सद्भाव पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। यह देखना होगा कि सरकार इस विरोध पर क्या रुख अपनाती है।