■ प्रसव हेतु महिला को सहारा मेडिसिटी में भर्ती कराया गया था
■ डॉक्टर की लापरवाही से गर्भाशय की नस कटने से हुई मृत्यु
■ मृतका को ऑपरेशन थिएटर में छोड़कर भाग गया था स्टाफ
■ मुकदमा दायर करने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित देना होगा प्रतिकर
आगरा। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के एक दर्दनाक मामले में, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (First) के अध्यक्ष सर्वेश कुमार ने एक महिला की असमय मृत्यु के मामले में अस्पताल और डॉक्टर के खिलाफ मुआवजा आदेश दिया है। महिला की मौत ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुई थी। अदालत ने मृतका के पति यतेंद्र कुमार को 6,93,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है, साथ ही इस राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी मिलेगा।
मामला क्या था?
31 जुलाई 2018 को यतेंद्र कुमार ने अपनी पत्नी श्रीमती प्रीति (गुडिया) को प्रसव के लिए सहारा मेडिसिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। हॉस्पिटल के स्टाफ ने प्रसव के लिए 55,000 रुपये की राशि काउंटर पर जमा कराई। सुबह करीब 12:30 बजे, यतेंद्र कुमार को खून लेने के लिए बाहर भेज दिया गया। लेकिन जब उन्हें अपनी पत्नी की हालत के बारे में जानकारी नहीं दी गई, तो हॉस्पिटल ने एंबुलेंस बुलाकर उनकी पत्नी को दूसरे अस्पताल भेजने का प्रयास किया।
यतेंद्र कुमार ऑपरेशन थिएटर में घुसे तो देखा कि उनकी पत्नी मृत पड़ी हुई थी और चारों ओर खून फैला हुआ था। उन्होंने तुरंत पुलिस और सीएमओ को सूचित किया। पुलिस ने डॉक्टर के प्रभाव में आकर उल्टा यतेंद्र कुमार को धमकाना शुरू कर दिया, और हॉस्पिटल का समस्त स्टाफ भी वहां से भाग गया।
डॉक्टर की लापरवाही का कारण
वकील संतोष दीक्षित के माध्यम से यतेंद्र कुमार ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान अत्यधिक लापरवाही बरती, जिसके परिणामस्वरूप उनकी पत्नी की गर्भाशय की नस कट गई और उसकी मौत हो गई। इसके अलावा, महिला की असमय मृत्यु से उनके तीन बच्चे भी मातृत्व सुख से वंचित हो गए।
मुकदमा और मुआवजे का आदेश
यतेंद्र कुमार ने सहारा मेडिसिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रशांत कुमार, हॉस्पिटल के प्रबंधक लकी यादव और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को भी मुकदमे में पक्षकार बनाया। मामला उपभोक्ता विवाद आयोग में गया और आयोग ने 18 सितंबर 2018 से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित ₹6,93,000 का मुआवजा देने का आदेश दिया।