गौतम बुद्ध नगर, उ. प्र.
सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल गौतमबुद्ध नगर में लापरवाही को उजागर करने घटना सामने आई है । इलाज की आस में पहुंचे एक मरीज और उसके परिजनों को उस वक्त गहरा झटका लगा, जब अस्पताल में डॉक्टर ही मौजूद नहीं थे।
प्रियांशु नाम के मरीज को यूरीन की नली में स्टोन की परेशानी थी, दर्द से कराहता हुआ जिला अस्पताल पहुंचा। लेकिन वहां डॉक्टर के बजाय केवल वार्ड बॉय मौजूद थे, जिन्हें मरीज की हालत की गंभीरता का अंदाज़ा था।
वार्ड बॉय ने परिजनों से कहा कि डॉक्टर तो नहीं हैं, लेकिन नींद का इंजेक्शन दे देते हैं जिससे मरीज को कुछ देर के लिए आराम मिल जाएगा। डॉक्टर 9 बजे तक आ सकते हैं। स्वस्थ कर्मी के इस रवैये ने परिजनों को हैरत में डाल दिया।
परिजनों ने कहा, हम लोग जो पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं अगर सरकारी अस्पताल में भी इलाज न मिले तो हम कहां जाएं?
प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का दावा करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। जिला अस्पताल जैसे प्रमुख संस्थान में डॉक्टरों की गैरमौजूदगी इलाज के नाम पर सिस्टम की गंभीर खामी को दर्शाता है।
यह घटना न सिर्फ एक मरीज की पीड़ा है, बल्कि उन तमाम लोगों की कहानी है जो हर दिन इसी उम्मीद में सरकारी अस्पतालों का रुख करते हैं कि शायद इस बार उन्हें समय पर सही उपचार मिल जाए।