मेरठ: जनपद मेरठ के इंचौली थाना क्षेत्र के लावड गांव में पुलिस की एक शर्मनाक करतूत सामने आई है। दो भाइयों के बीच मामूली पारिवारिक झगड़े की सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने पहले तो घर की महिलाओं को दौड़ा-दौड़ा कर बेरहमी से पीटा। इसके बाद पुलिस ने पीड़ितों पर ही झूठी एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया। इस अमानवीय घटना के सामने आने के बाद क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया, जिसके चलते अब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने कार्रवाई करते हुए इंचौली थानाध्यक्ष समेत पूरी लावड चौकी को लाइन हाजिर कर दिया है और संलिप्त पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों की विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर विपिन ताडा ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए इंचौली थानाध्यक्ष नितिन पांडे के साथ-साथ लावड चौकी के इंचार्ज इंद्रेश विक्रम सिंह, दरोगा सुमित गुप्ता एवं पवन सैनी तथा सिपाही वसीम को लाइन हाजिर कर दिया है। एसएसपी ने इन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच के भी सख्त निर्देश दिए हैं। उधर, यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर एससी एसटी आयोग और महिला आयोग तक पहुंच जाने से अब यह एक हाई प्रोफाइल मामला बन गया है।
दरअसल, 7 मई को लावड गांव में अनिल और सुशील नामक दो भाइयों के बीच मकान को लेकर विवाद की सूचना पुलिस को मिली थी। मौके पर पहुंची पुलिस जब दोनों भाइयों को थाने ले जाने लगी, तो परिवार की महिलाओं ने इस झगड़े को पारिवारिक मामला बताते हुए पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया। पुलिस का आरोप है कि विरोध करने वाली महिलाओं ने पुलिसकर्मियों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया, जिसके बाद पुलिस सभी को जबरन थाने ले गई।
महिलाओं का गंभीर आरोप है कि इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उनके सोने-चांदी के कीमती गहने भी छीन लिए थे। इसके बाद पुलिस ने पीड़ितों, यानी अनिल और सुशील पर ही बलवे समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया और दोनों भाइयों के साथ उनकी बूढ़ी मां को भी जेल भेज दिया। जब यह पूरा मामला उजागर हुआ, तो भीम आर्मी सेना, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने पुलिस की इस बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन किया और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर धरना दिया। इस बीच, पीड़ित महिलाओं ने न्याय की गुहार लगाते हुए एससी एसटी आयोग और महिला आयोग का दरवाजा भी खटखटाया।
मामले की गंभीरता और पीड़ित पक्ष द्वारा मोहल्ले वालों के साथ मिलकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सौंपे गए शिकायती पत्र पर त्वरित संज्ञान लेते हुए एसएसपी डॉक्टर विपिन ताड़ा ने तत्काल प्रभाव से पूरी लावड चौकी को लाइन हाजिर कर दिया और सभी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ निष्पक्ष विभागीय जांच के आदेश जारी किए हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और पीड़ितों को कब तक न्याय मिल पाता है।
इसमें पुलिस की बर्बरता तो कही नजर नहीं आ रही सूचना पर पुलिस पहुंची विवाद को रोकने के लिए निरोधात्मक कार्यवाही के तहत थाने ले जाया जाता है पारिवारिक विवादों में भी हत्या तक हो जाती हैं फिर दोष पुलिस के ऊपर आता हैं कि पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की हैं। पुलिस कार्यवाही का विरोध करने पे मुकदमा तो लिखा ही जाता हैं इसमें गलत क्या है।